असम (Assam) में बाढ़ (Flooding) की स्थिति शनिवार को और बिगड़ गई, जिससे 33 जिलों में प्रभावितों की संख्या बढ़कर 42.28 लाख हो गई. इस साल के मौजूदा बाढ़ में पांच दिनों में मरने वालों की संख्या बढ़कर 34 हो गई. इसके साथ ही इस साल की बाढ़ और भूस्खलन (floods and landslides) में मरने वालों की संख्या बढ़कर 71 हो गई है. पिछले 24 घंटों में तीन बच्चों सहित नौ और लोगों की मौत हुई है.
बताया जा रहा है कि बाढ़ के पानी में डूबने से छह लोगों की मौत हो गई, जबकि तीन अन्य भूस्खलन में मारे गए. कछार जिले से तीन मौतें हुईं, बारपेटा में दो लोगों की मौत हुई, इसके बाद बजली, कामरूप, करीमगंज और उदलगुरी जिलों में एक-एक मौत हुई है. वहीं, आठ लोगों के लापता होने की खबर है. डिब्रूगढ़ से चार लोग, जबकि कछार, होजई, तामूलपुर और उदलगुरी जिलों से एक-एक लापता है.
सबसे अधिक बारपेटा जिले में बाढ़ ने मचाई है तबाही
वर्तमान में 5137 गांव बाढ़ के चपेट में हैं. बारपेटा सबसे ज्यादा प्रभावित जिला है जहां 12.76 लाख लोग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. दरांग में करीब चार लाख लोग बाढ़ के पानी में डूबे हुए हैं जबकि नगांव में 3.64 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ के कारण पीड़ित हैं. बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि उन्होंने अब सब कुछ भगवान पर छोड़ दिया है क्योंकि स्थिति बदतर होती जा रही है.
कामरूप के रंगिया में बाढ़ पीड़ित रेकीब अहमद ने दावा किया कि हमारे घर पिछले तीन दिनों से बाढ़ के पानी में हैं और हम हाईवे पर रह रहे हैं. हम पहले से ही गहरे संकट में हैं और अगर बारिश नहीं रुकी तो हमारी हालत और भी खराब हो जाएगी. हमें सरकार से कोई राहत सामग्री नहीं मिली है.
राहत शिविरों के अलावा हाईवे पर रहने को मजबूर हैं बाढ़ प्रभावित
उधर, सेना, अर्धसैनिक बल, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल, राज्य आपदा मोचन बल, राज्य पुलिस की आपात एवं अग्निशमन सेवाएं, नागरिक प्रशासन और प्रशिक्षित स्वयंसेवकों को बचाव और राहत कार्यों में लगाया गया है. संबंधित जिला प्रशासन की ओर से कुल 744 राहत शिविर स्थापित किए गए हैं जहां 1.86 लाख से अधिक लोग शरण ले रहे है. बाढ़ प्रभावित ग्रामीण या तो जिला प्रशासन द्वारा बनाए गए राहत शिविरों में चले गए हैं या हाईवे पर रह रहे हैं.
कामरूप में बाढ़ पीड़ित उत्तम नाथ ने दावा किया कि गांवों में स्थिति बहुत विकट है और हम पिछले 5-6 दिनों से हाईवे पर रह रहे हैं. हमें राहत के नाम पर केवल चावल मिला है. वहीं, बताया जा रहा है कि बाढ़ के पानी ने 107370.43 हेक्टेयर फसल भूमि को जलमग्न कर दिया है, जबकि 25 जिलों में 29.28 लाख से अधिक घरेलू पशु प्रभावित हुए हैं. बाढ़ में अपना सब कुछ गंवा चुके ग्रामीणों ने दावा किया कि उन्हें अब तक जिला प्रशासन से कोई राहत सामग्री नहीं मिली है और वे बचे हुए थोड़े से राशन और बाढ़ के पानी में मछली पकड़कर अपना गुजारा कर रहे हैं.
कामरूप के बलबारी गांव में बाढ़ पीड़ित अब्दुल हकीम ने कहा, “चार दिन हो गए हैं और जल स्तर अभी भी बढ़ रहा है. हमारा पूरा गांव डूबा हुआ है लेकिन हमें कोई राहत सामग्री नहीं मिली है. अगर आगे बारिश हुई तो स्थिति और भी खराब हो जाएगी. बाढ़ में सब कुछ तबाह हो गया. हम किसी तरह भोजन का थोड़ा-सा स्टॉक बचा कर और मछलियां पकड़कर गुजारा कर रहे हैं.
ये 33 जिले हैं बाढ़ से प्रभावित
33 प्रभावित जिलों में बजली, बक्सा, बारपेटा, विश्वनाथ, बोंगाईगांव, कछार, चिरांग, दरांग, धेमाजी, धुबरी, डिब्रूगढ़, दीमा-हसाओ, गोलपारा, गोलाघाट, हैलाकांडी, होजई, जोरहाट, कामरूप, कामरूप (एम), कार्बी आंगलोंग, पश्चिम, करीमगंज, कोकराझार, लखीमपुर, माजुली, मोरीगांव, नगांव, नलबाड़ी, शिवसागर, सोनितपुर, दक्षिण सलमारा, तामूलपुर, तिनसुकिया और उदलगुरी शामिल है.
इस बीच, भारत मौसम विज्ञान विभाग ने गुरुवार तक असम और मेघालय में अगले 48 घंटों में अत्यधिक भारी से बहुत भारी बारिश की भविष्यवाणी की है. मौसम विभाग के पूर्वानुमान से ग्रामीण चिंतित हैं कि अगर और बारिश हुई तो हालत और भी खराब हो सकती है.
कामरूप के बोरबोला गांव के बाढ़ पीड़ित अब्दुल मलिक ने कहा, अब हम चिंतित हैं कि अगर फिर से बारिश हुई तो क्या होगा. उन्होंने कहा कि कुछ लोग स्कूलों में शरण ले रहे हैं. यहां तक कि नेशनल हाईवे भी जलमग्न हो गया. बाढ़ ने कहर बरपा रखा है.