केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों को काम के दौरान 5 मिनट का ‘योग ब्रेक’ लेने को कहा है। साथ ही सरकारी कर्मचारियों को आयुष मंत्रालय द्वारा डेवलप एक मोबाइल ऐप भी डाउनलोड करने को कहा गया है, जिसमें योग करने के लिए 5 मिनट का प्रोटोकॉल दिया गया है। आयुष मंत्रालय के मुताबिक, यह योग प्रोटोकॉल रोजाना काम की दिनचर्या के साथ तालमेल बनाते हुए वर्किंग प्रोफेशनल्स को तनाव घटाने और फिर से काम पर ध्यान केंद्रित करने में मदद कर सकता है। इसी एप में योग के तरीके और फायदे बताए गए हैं। सरकार की तरफ से ये आदेश दो सितंबर को जारी किया गया। इस ऐप को आयुष मंत्रालय ने डेवेलप किया है।
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) ने दो दिन पहले जारी एक आदेश में सभी मंत्रालयों को इस ऐप को प्रमोट करने के लिए कहा है। आदेश में लिखा है, ‘भारत सरकार के सभी मंत्रालयों और विभागों से Y- Break ऐप के उपयोग को बढ़ावा देने का अनुरोध किया जाता है।’ डीओपीटी ने 2 सितंबर को जारी एक आदेश में कहा कि एंड्रॉयड आधारित वाई-ब्रेक एप्लिकेशन को डाउनलोड किया जाए। आयुष मंत्रालय ने एक दिन पहले ही एक बड़े समारोह में मोबाइल एप्लिकेशन लॉन्च किया था, जिसमें छह मंत्री शामिल हुए थे। इस समारोह में डीओपीटी मंत्री जितेंद्र सिंह भी मौजूद थे और उन्होंने कानून मंत्री किरेन रिजिजू से ‘कार्यस्थल पर पांच मिनट के लिए योगा ब्रेक पर नियम बनाने का आग्रह किया था ताकि लोग इसका लाभ उठा सकें।
इस अवसर पर मौजूद मंत्रियों ने पूरी सभा में ऐप पर प्रदर्शित योगासन का प्रदर्शन किया। कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था कि ये ऐप जंगल में आग की तरह फैलेगी। आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा था कि पांच मिनट का योग प्रोटोकॉल विशेष रूप से काम करने वाले पेशेवरों के लिए काम की क्षमता बढ़ाने के लिए है। इसे कार्यस्थल पर तनाव कम करने, लोगों को तरोताजा और फिर से ध्यान केंद्रित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें आसन, प्राणायाम और ध्यान शामिल हैं। मंत्री ने कहा, ‘हम जानते हैं कि कॉर्पोरेट प्रोफेशनल अक्सर अपने काम के कारण तनाव का अनुभव करते हैं। कामकाजी आबादी को ध्यान में रखते हुए, ये वाई-ब्रेक विकसित किया गया है, जो कर्मचारियों को कार्यस्थल पर कुछ आराम देगा।’
2 सितंबर को जारी डीओपीटी के आदेश में कहा गया है कि आयुष मंत्रालय ने इस एप को 2019 में एक विशेषज्ञ समिति के माध्यम से कार्यस्थल के लिए 5 मिनट के योग प्रोटोकॉल को डिजाइन और विकसित किया। जनवरी 2020 में छह प्रमुख महानगरों (दिल्ली, मुंबई, चेन्नई) में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में मॉड्यूल लॉन्च किया। डीओपीटी के आदेश में कहा गया है, ‘इसकी प्रतिक्रिया बहुत उत्साहजनक थी।