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World Record: दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे की केंद्रीय मंत्री गडकरी ने बताई खासियत

देश का सबसे लंबा एक्सप्रेस-वे (Delhi-Mumbai Expressway) देश को मिलने जा रहा है। देश की राजधानी दिल्ली (New Delhi) से आर्थिक राजधानी मुंबई (Mumbai) तक का सड़क के रास्ते सफर 24 घंटे का होता है, जो आने वाले दिनों में आधा ही रह जाएगा। दिल्ली से मुंबई Delhi-Mumbai Expressway) तक का सफर महज 12 घंटे में ही तय हो सकेगा, कुलमिलाकर घंटों का काम मिंटों में होगा। इस दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे को कैसे बनाया गया है इसकी भी केंद्रीय मंत्री गडकरी ने खासियत बताई है जो अपने आप में बर्ल्‍ड रिकार्ड है।

बता दें कि भारतमाला परियोजना के तहत देश का सबसे लंबा एक्सप्रेस-वे (expressway) है जो कि मध्य प्रदेश के तीन जिलों रतलाम, मंदसौर और झाबुआ (Ratlam, Mandsaur and Jhabua) से गुजर रहा है। आठ लेन वाला यह एक्सप्रेसवे 1350 किमी लंबा है। इस एक्सप्रेसवे के बन जाने से दिल्ली-मुंबई का सफर महज 12 घंटे पूरा हो सकेगा। इस एक्सप्रेस-वे का 244.17 किमी का हिस्सा मध्य प्रदेश के तीन जिलों रतलाम, झाबुआ, मंदसौर के 137 गांवों से होकर गुजर रहा है। इसमें से 106 किमी का काम पूरा हो चुका है और बाकी 143 किमी नवंबर 2022 तक पूरा होने की उम्मीद है। उज्जैन, देवास, इंदौर और गरोठ (Ujjain, Dewas, Indore and Garoth) को भी जोड़ा गया है।

जानकारी के लिए बता दें कि मध्य प्रदेश में 8 इंटरसेक्शन इस एक्सप्रेसवे में बनाए जा रहे हैं जिनके जरिए प्रदेश की सड़कें जुड़ेंगी। रतलाम-मंदसौर-झाबुआ जिलों के 130 से ज्यादा गांवों की 2500 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया गया है। गरोठ और जावरा में लॉजिस्टिक हब बनाया जा रहा है। फिलहाल पूरा स्ट्रेच तैयार किया जा रहा है, लेकिन इस बीच इसके पहले खंड का उद्घाटन होने वाला है। दिल्ली के करीब हरियाणा के सोहना से राजस्थान के दौसा तक इसके पहले खंड का उद्घाटन पीएम नरेंद्र मोदी 12 फरवरी को करने वाले हैं। सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इस कार्यक्रम के बारे में ट्वीट कर जानकारी दी है। बीते कुछ सालों में यमुना एक्सप्रेसवे, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे, मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे जैसे अहम मार्ग तैयार किए गए हैं।

इसके अलावा यूपी में गंगा एक्सप्रेसवे पर भी काम चल रहा है। इस कड़ी में सबसे बड़ा एक्सप्रेसवे मुंबई से दिल्ली को जोड़ने वाला है, जिसे नितिन गडकरी की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना माना जा रहा है। 1,390 किलोमीटर का यह एक्सप्रेसवे दिल्ली और मुंबई के बीच के सफर को आधा कर देगा। दूरी और समय कम होने के साथ ही यह पूरा रास्ता तमाम आधुनिक सुविधाओं से लैस भी होगा। यह एक्सप्रेसवे भारतमाला परियोजना के पहले चरण के तहत तैयार किया जा रहा है, जिसके तहत देश भर में हाईवेज के नेटवर्क को तैयार किया जा रहा है।

भारतमाला परियोजना के तहत अहम शहरों को आपस में जोड़ने, सीमांत इलाकों में रोड नेटवर्क तैयार करने और सुदूर क्षेत्रों में भी इन्फ्रा मजबूत करने पर जोर दिया जा रहा है। भारतमाला के पहले चरण में कुल 24,800 किलोमीटर हाईवे का निर्माण किया जाना है। इस प्रोजेक्ट का अहम हिस्सा दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे है। इससे दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात भी आपस में जुड़ सकेंगे। शुरुआती दौर में कुल 8 ले एक्सप्रेसवे तैयार किया जाएगा, जिसे 12 लेन तक बढ़ाया जा सकेगा। इस एक्सप्रेसवे से आर्थिक ग्रोथ भी हो सकेगी। राजस्थान, गुजरात और हरियाणा के कई शहरों की कनेक्टिविटी बेहतर होगी।

इस एक्सप्रेसवे का पहला हिस्सा सोहना से दौसा तक आज यिान 12 फरवरी को शुरू होने जा रहा है। इसके अलावा जल्दी ही वड़ोदरा से अंकलेश्वर तक का पार्ट भी पूरा हो जाएगा। यही नहीं अमृतसर से जामनगर को जोड़ने वाले कॉरिडोर पर भी तेजी से काम कर चल रहा है। अंबाला से कोटपुतली के लिए भी काम लगभग पूरा ही होने वाला है।

आने वाले साल में आप एक बार जरूर सड़क से दिल्ली से मुम्बई तक की यात्रा करना चाहेंगे. एक लाख करोड़ की लागत से विश्वस्तरीय बन रहे दिल्ली-मुम्बई ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे के जरिए 1382 किमी की दूरी केवल 12 घंटे में तय होगी. आठ लेन की सड़क का यह सफर ना थकाऊ होगा और ना ही ऊबाउ. कारण, दिल्ली से आगे चलते ही हरे-भरे खेत, धूप-छांव की आंख मिचौली खेलते पेड़ों के बीच से गुजरते हुए एसे चार टाइगर रिजर्व से गुजरेंगे, जहां जाने के लिए हम कई बार योजना बनाकर भी नहीं जा पाते. रास्ते में पर्यटन का आनंद और अलग-अलग व्यंजनों का स्वाद लेते हुए यह सफर कब पूरा हो जाएगा, पता ही नहीं चलेगा।

विदित हो कि आठमार्च 2019 को तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और तत्कालीन वित्तमंत्री अरुण जेटली की उपस्थिति में केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी द्वारा इस महत्वाकांक्षी परियोजना की आधारशिला रखी गई थी। इस एक्सप्रेस-वे की संकल्पना कुछ तरह थी कि वह पिछड़े क्षेत्र जो मुख्य मार्ग से दूर हैं, उन्हें जोड़ा जाए। सड़क को इस तरह बनाया जाए, जिसमें आधुनिक तकनीक का समावेश हो। कम लागत में एसा उम्दा मार्ग बनाया जा रहा जो समय और ईंधन दोनों की बचत करेगा।

एक हिस्से में इलेक्ट्रिक हाईवे बनेगा
इस एक्सप्रेस-वे के एक हिस्से को ई-हाईवे (इलेक्ट्रिक हाईवे) के रूप में विकसित किया जा रहा है, जहां ट्रक और बसें 120 किमी प्रतिघंटे की गति से चलेंगे, जिससे लॉजिस्टिक लागत में 70 फीसदी की कमी आएगी. पूरे एक्सप्रेस-वे को पर्यावरण और अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है. जिसमें 20 लाख पेड़ लगाए जा रहे हैं, प्रत्येक 500 मीटर पर वर्षा जल संचयन प्रणाली के साथ पूरे खंड में ड्रिप सिंचाई की व्यवस्था की गई है. इस एक्सप्रेस-वे में हर साल 32 करोड़ लीटर से अधिक डीजल-पेट्रोल की बचत होगी. जिससे करीब 85 करोड़ किलोग्राम कार्बन डाईआक्साइड के उत्सर्जन में कमी आएगी।

यह एशिया का पहला एक्सप्रेस-वे होगा, जहां जानवरों के लिए ओवरपास बनाए जा रहे हैं। यह एक्सप्रेस-वे चार टाइगर रिजर्व रणथंभौर, सरिस्का, मुकुंदरा नेशनल पार्क और रामगढ़ वन्यजीव अभयारण्य के बीच से गुजरेगा. यहां दोनों ओर 8 मीटर लंबी शोर अवरोधक दीवारें तथा 6 फुट ऊंची दीवारें होंगी, जिससे जानवर सड़क पर और यात्री जंगल में नहीं जा सकेंगे। यह यात्रा लोगों को नई अनुभूति देगी.।यह एक्सप्रेस-वे कई दृष्टि से खास है. क्या कभी किसी ने सोचा होगा कि जिस भारत में गड्ढों में सड़क तलाशी जाती थी, वह भारत सड़क निर्माण में विश्व रिकार्ड भी बनाएगा, लेकिन यह कीर्तिमान स्थापित हुआ गुजरात में। आप जब दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस-वे से गुजरेंगे तो बड़ौदा के हुसेपुर-सादणगांव और भरूच से 20 किमी दूर कैलोद गांव के पास 24 घंटे में ढाई किमी की 4-लेन सीमेंट कंक्रीट की उसी सड़क से गुजरेंगे, जिसने विश्व कीर्तिमान स्थापित किया है. गुजरात में पटेल इन्फ्रास्ट्रक्चर कम्पनी द्वारा यह रिकार्ड कायम किया गया है. एक फरवरी 2021 को सुबह 8 बजे शुरू हुआ काम अनवरत 24 घंटे चला और 2 फरवरी को जब सूर्योदय हुआ तो सड़क निर्माण के कीर्तिमान की वह लालिमा बिखेर रहा था.

प्रधानमंत्री करेंगे देश को समर्पित
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हरियाणा के सोहना से राजस्थान के दौसा तक 246 किमी, 8-लेन ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे का पहला हिस्सा देश को समर्पित कर रहे हैं। यह पूरा एक्सप्रेस-वे 2024 तक बनकर तैयार हो जाएगा। देश का पहला सबसे लम्बा एक्सप्रेस-वे भारत के सामाजिक, आर्थिक बदलाव के लिए मील का पत्थर साबित होगा।