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VIDEO: अमेरिका ने किया महाविनाशक मिसाइल का परीक्षण, रूस-चीन में मच सकती है तबाही, दुनिया में मची हलचल

रूस और चीन के साथ चल रहे तनाव के बीच अमेरिका ने अपनी सबमरीन से दागे जाने वाली महाविनाशक मिसाइल ट्राइडेंट-2 का अटलांटिक महासागर में सफल परीक्षण किया है। परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम यह मिसाइल 8 हजार किलोमीटर मार कर सकती है। बताया जा रहा है कि इस ट्राइडेंट मिसाइल को फ्लोरिडा के तट से दागा गया और यह अफ्रीका के पास अससेंसन द्वीप के पास गिरी। इस दौरान मिसाइल ने करीब 8200 किलोमीटर की दूरी तय की। मिसाइल लॉन्‍च के समय फ्लोरिडा में शाम का वक्‍त था और लोगों को ऐसा लगा जैसे धूमकेतु धुंआ छोड़ते हुए जा रहा हो। अमेरिका ने यह परीक्षण ऐसे समय पर किया है जब रूस और चीन के साथ उसका तनाव बढ़ा हुआ है। रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक यह म‍िसाइल परीक्षण दुश्‍मन के हमले के बाद अमेरिका और ब्रिटेन के जवाबी हमले की क्षमता को परखने के लिए बेहद अहम था।

अमेरिका ने पनडुब्बियों पर एक हजार परमाणु हथियार तैनात किए

अभी तक यह स्‍पष्‍ट नहीं हो सका है कि ट्राइडेंट 2 मिसाइल को अमेरिका या ब्रिटेन में से किसकी सबमरीन से दागा गया था। अमेरिका अपनी मिसाइल का अक्‍सर प्रशांत महासागर में परीक्षण करता रहा है। हालांकि हाल ही में फ्रांस ने भी अपनी एक मिसाइल का अटलांटिक महासागर में परीक्षण किया था। इससे पहले वर्ष 2016 में ब्रिटेन की नौसेना ने इसी मिसाइल का परीक्षण किया था जो असफल रहा था।

अमेरिका दे रहा परमाणु फाइटर जेट F-15EX, चीन और पाकिस्तान में मचा सकता है तबाही

एफ-15ईएक्स लड़ाकू विमान अमेरिका के एफ-15ई स्ट्राइक ईगल (F-15E Strike Eagle) का अपडेटेड वर्जन है। जिसे बोइंग डिफेंस स्पेस एंड सिक्योरिटी ने एयरोस्पेस कंपनी मैक्डॉनल डगलस के साथ मिलकर आज से 34 साल पहले 11 दिसंबर 1986 को तैयार किया था। लगभग दो साल बाद एफ-15ई का पहला विमान 30 सितंबर 1989 को अमेरिकी वायुसेना में कमीशन किया गया था। हवा से हवा में मार करने के मामले में इस फाइटर एयरक्राफ्ट का कोई तोड़ नहीं है। इसकी एयरोडायनेमिक बनावट के कारण इसे मल्टीरोल एयरक्राफ्ट की श्रेणी में बेहतरीन माना जाता है।

एफ-15 के अलग-अलग वैरियंट कई देशों की वायुसेना में शामिल हैं। अमेरिकी वायुसेना में तो 210 की संख्या में एफ-15ईएस लड़ाकू विमान तैनात हैं। जनवरी 2014 से इजरायली वायुसेना में 25 एफ-15आई लड़ाकू विमान शामिल हैं। इसके अलावा दक्षिण कोरिया की वायुसेना में 2019 से एफ-15के के 59 एयरक्राफ्ट भी तैनात हैं। कतर की वायुसेना ने भी 36 एफ-16क्यू का ऑर्डर दिया हुआ है। सऊदी अरब की वायुसेना में भी 2014 से 70 की संख्या में एफ-15एस ईगल एयरक्राफ्ट तैनात हैं, जबकि 84 एफ-15एसए का ऑर्डर पेंडिंग है। सिंगापुर की वायुसेना में भी 70 एफ-15एसजी लड़ाकू विमान शामिल हैं।

बोइंग का दावा है कि एफ-15 लड़ाकू विमान कई युद्धों में अबतक दुश्मनों के 100 से ज्यादा एयरक्राफ्ट को निशाना बना चुका है। जबकि, युद्ध के दौरान अब तक कोई भी एफ-15 दुश्मन की वायुसेना का शिकार नहीं बन सका है। अमेरिकी एयरफोर्स का दावा है कि एफ-15ईएक्स लड़ाकू विमान अपने पुराने वर्जन से हर मायने में अलग है। F-15EX में नए फ्लाई-बाय-वायर फ्लाइट कंट्रोल, एक नया इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली और उन्नत कॉकपिट सिस्टम के कारण यह दुश्मन के एयरक्राफ्ट पर भारी पड़ता है। अमेरिका दरअसल एफ-15 स्टील्थ लड़ाकू विमान को बना रहा था। जब इस विमान की लागत काफी बढ़ गई तो अमेरिकी रक्षा मंत्रालय चिंतित होने लगा। अमेरिका को बड़ी संख्या में लड़ाकू विमान की जरूरत थी.

लेकिन बजट की कमी के कारण वह एफ-35 को बड़ी संख्या में खरीद नहीं सकता था। इसलिए एफ-15ईएक्स को इसके पुराने मॉडल से विकसित किया गया। जिसमें कई सारी खूबियां एफ-35 से भी शामिल की गईं। भार और बनावट के संदर्भ में एफ-15ईएक्स राफेल से काफी बड़ा है। F-15EX का अधिकतम भार लगभग 36 टन है, जो कि Su-30MKI के लगभग बराबर है। सुखोई एसयू-30एमकेआई लड़ाकू विमान भारतीय वायुसेना का रीढ़ माना जाता है। बोइंग का दावा है कि F-15EX 13 टन से अधिक वजन के हथियार और ईंधन लेकर उड़ान भर सकता है, जबकि राफेल की क्षमता 9.5 टन की है।

बोइंग का यह भी दावा है कि एक एफ-15 ईएक्स 22 एयर-टू-एयर मिसाइलों को ले जा सकता है, जो अबतक बनाए गए किसी भी लड़ाकू विमान मे सर्वाधिक है। F-15EX को मल्टीरोल फाइटर एयरक्राफ्ट माना जाता है। यह विमान 13607 किलोग्राम वजन के बराबर का बम लेकर उड़ान भरने में सक्षम है। इसमें एयर को एयर और एयर टू ग्राउंड मिसाइलें शामिल होती हैं। यह विमान सभी मौसमों में उड़ान भरने में सक्षम है। ट्राइडेंट-2 अमेरिका की सबसे खतरनाक मिसाइलों में से एक है। सबमरीन से दागे जाने वाली यह मिसाइल परमाणु हथियार लेकर जाने में सक्षम है। विशेषज्ञों के मुताबिक अमेरिका हर साल इस मिसाइल का एक परीक्षण करता है। अमेरिका ने मिसाइल परीक्षण के लिए पहले ही चेतावनी दे दी थी। अमेरिका की नौसेना ने अपनी पनडुब्बियों पर एक हजार परमाणु हथियार तैनात किए हैं।