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उत्तराखण्ड: स्कीइंग का विश्व स्तरीय केन्द्र बना औली

उत्तराखण्ड प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्र को परंपरागत रूप से देवभूमि माना गया है, यहां प्रकृति प्रदत्त समस्त आकर्षण पर्यटकों की रूचि की दृष्टि से मनोहारी एवं सम्मोहक है यो तो पर्वतीय क्षेत्र का हर स्थल महत्वपूर्ण है किंतु सौदर्य एवं बेमिसाल है।


चांदनी रात में औली का जादुई दृश्य और भी निखर उठता हैं उत्तराखण्ड के इस पर्वतीय क्षेत्र में अब तक पर्यटन व्यवसाय केवल ग्रीष्मकाल तक ही सीमित रहा है। सीजनलिटी प्रभाव को दूर कर इस क्षेत्र को वर्षभर पर्यटन की दृष्टि से क्रियाशील रखने के उद्देश्य से विभिन्न साहसिक क्रीडा कार्यक्रमों तथा स्कीइंग एवं ऐरो स्पोर्ट्स कार्यक्रमों को इस क्षेत्र के विभिन्न स्थलों में प्रोत्साहित करने के प्रयास किये जा रहे है।
साहसिक पर्यटकों के लिए औली एक नये गंतव्य-स्थल के रूप में विकसित हुआ है। इसका श्रेय स्व. नरेन्द्र सिंह भण्डारी पूर्व पर्वतीय विकास मंत्री स्व. श्रीमती इन्दिरा गांधी पूर्व प्रधानमंत्री, उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव, श्री सुरेन्द्र सिंह भिलंगवाल पत्रकार एवं पूर्व निदेशक गढ़वाल मण्डल विकास निगम, श्री बी.एम. मघवाल, सुभाष बहुखण्डी, श्री एस.पी.सिंह श्री आर.के. सिंह श्री जी.बी. पटनायक ये सभी पूर्व प्रबन्ध निदेशक ग.म.वि.नि तथा पूर्व चीफ इंस्पेक्टर श्री एल.एस मेहता एवं स्व. श्री प्रदीप रावत प्रभारी साहसिक खेल गढ़वाल मण्डल विकास निगम तथा आई.टी.बी.पी के पूर्व कमांडेन्ट श्री मलासी को जाता है।

जोशीमठ समुद्र सतह से 1906 मीटर की ऊंचाई पर स्थित सीमांत जनपद चमोली का एक प्रमुंखतम पहाड़ी शहर है यहां से 14 किलोमीटर की दूरी पर 2915 मीटर से लेकर 3049 मीटर उन्नतांश पर औली एक शीताकलीन क्रीडा (स्कीइंग) स्थली है यह प्राकृतिक मनोरम छटा से परिपूर्ण लगभग 5 किमी क्षेत्र के स्लोप विस्तार में फैला हुआ एक सुंदरतम स्थान है।

इस मनोरम स्थल से विश्व-विख्यात हिमालय श्रृंखलाएं नंदा देवी चोटी 7817 मीटर, नीलकंठ 6597 मी. हाथ पर्वत, विधार टोली, गौरी पर्वत आदि के नयानाभिराम दृश्य देखने को मिलते है। औली के बुग्याल शीतकाल के तीन माह (दिसंबर से फरवरी तक) बर्फ से ढके रहते है और जून से सिंतबर के बीच तरह-तरह की वनौषधि, वनस्पति और प्राकृतिक पुष्पों से लदा रहता है इससे लगी ऊपर की ओर जिलौंज खरसू और बांज के घने वृक्षों की खूबसूरत पट्टी है उसे ऊपर गोरसों का मीलों तक फैला अत्यंत स्मरणीय बुग्याल है। गोरसों से लगभग 10किमी की चढ़ाई के बाद क्वांरी के बुग्याल है। चार धाम की छमाही तीर्थाटन के पट और शीतकालीन क्रीडा एवं अन्य साहसिक पर्यटन के नये आयामों ने इस पर्वतीय क्षेत्र को बारामासा पर्यटन की संभावनाओं से लैस कर दिया है और नये संदर्भो में यह पर्वतीय क्षेत्र बारामास पर्यटन की अवधारणा को चरितार्थ करते हुए अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर एक विशिष्ट स्थान प्राप्त कर चुका है।

़ऋषिकेश-बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग का अंतिम किंतु महत्वपूर्ण पडाव जोशीमठ ऋषिकेश से 272 किमी की दूरी पर स्थित हैं। यह स्थान वायुमार्ग से निकटतम हवाई पट्टी जौलीग्रांट से 294 किमी दूर है जबकि रेल मार्ग के लिए निकटतम रेल हेड ऋषिकेश है जहां से औली 286 किमी दूर पडेगा।

जोशीमठ से औली 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, राज्य सरकार द्वारा ऋषिकेश जोशीमठ मार्ग के मध्य स्थित 156 किमी पर गौचर में एक हवाई पट्टी है इस हवाई पट्टी से उच्च क्रय क्षमता के पर्यटकों को हवाई मार्ग से औली पहुंचना और अधिक सुलभ हो जाएगा। यहां पर एशिया का वृहत्तम ओर विश्व का द्वितीय वृहत्तम रज्जु मार्ग है औली को अत्याधुनिक शीतकालीन क्रीडा केन्द्र के रूप में स्थापित करने के उद्देश्य से यहां पर 400 मी लंबी स्की का निर्माण कराया गया है। स्की स्लोप पर बर्फ को स्कीइंग के लिए उपयुक्त बनाये रखने हेतु जर्मनी से 2 स्नोविटर्स मंगाये गये है। इस प्रकार स्की लिफ्ट/ चेयर एवं स्नोविटर्स की सहायता से स्कीइंग केन्द्र का महत्वबढ़ गया है। अत्याधुनिक मूलभूत सुविधाओं को बढाये जाने के लिए औीर अधिक आकर्षित होटल, रेस्टोरेंट, थियेटर, गोल्फ आदि का भी प्रविधान किया जाना चाहिए आने वाले समय में रोपवे को गौर्सो बुग्याल तक बढ़ाये जाने की आवश्यकता है। जिसके लिए प्रदेश के वर्तमान पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज भी प्रयासरत है। क्योंकि औली में बर्फ जल्दी पिघलने लग गयी है और गोर्सो में बर्फ काफी मात्रा में रहती है। यदि सरकार समय रहते औली को अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर ले जा सके तो यह विश्व स्तर का स्की सेन्टर बन सकता है।

वैसे तो उत्तर प्रदेश के समय से ही औली को शीतकालीन खेलों के लिए काफी ख्याति अर्जित हो चुकी थी तथा उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद इसके विकास की गति रूक गई थी लेकिन वर्तमान में प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत एवं पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज औली के विकास के लिए तथा शीतकालीन खेलों के लिए उसे एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर का केन्द्र बनाने का प्रयास कर रहे है जिससे देश विदेश के पर्यटक औली की ओर आकर्षित हो सके।