उत्तर प्रदेश के स्थानीय निकाय की 27 विधान परिषद (एमएलसी) सीटों पर मंगलवार को नतीजे घोषित किए जाएंगे. ऐसे में सभी की निगाहें गोरखपुर के चर्चित डॉक्टर कफील खान (kafeel khan) पर है. देवरिया-कुशीनगर विधान परिषद सीट से सपा उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरे डॉ. कफील खान का मुकाबला गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष बीजेपी प्रत्याशी डा. रतन पाल सिंह से है.
पूर्वांचल की देवरिया-कुशीनगर स्थानीय निकाय की एमएलसी सीट पर सभी की निगाहें है. इस सीट पर कुल छह प्रत्याशी मैदान में है, लेकिन मुख्य मुकाबला सपा के डॉ. कफील खान और बीजेपी प्रत्याशी डा. रतन पाल सिंह के बीच है. पूर्वांचल की इस सीट पर 9 अप्रैल को 98.11 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था.
देवरिया-कुशीनगर एमएलसी सीट के चुनाव के लिए कुल 32 मतदान स्थल बनाए गए थे. दोनों जिलों के 5513 मतदाता हैं, जिनमें कुशीनगर में 2727 मतदाता तो देवरिया में 2786 मतदाता है. ऐसे में इस सीट पर 98.11 फीसदी वोटर्स ने वोट डाला था. एमएलसी चुनाव में बीजेपी और सपा के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है.
गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 2017 में ऑक्सीजन आपूर्ति बाधित होने के कारण अस्पताल में भर्ती बड़ी संख्या में बच्चों की मौत हो गई थी. तब डॉक्टर कफील खान चर्चा में आए थे, जिन्हें योगी सरकार ने बर्खास्त कर दिया था. इतना ही नहीं कफील खान पर योगी सरकार ने जबरदस्त तरीके से शिकंजा कसा था. कफील खान पर एनएसए भी लगाया गया था, जिसके चलते उन्हें लंबे समय तक जेल में रहना पड़ा था.
योगी सरकार ने सीएए आंदोलन के दौरान दिए गए भाषण के चलते उनको गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया था और फिर से उन पर एनएसए लगा दिया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कफील खान को जमानत दी थी तो योगी सरकार सुप्रीम कोर्ट जाकर इसे रद्द कराना चाहती था. कफील खान की जमानत में कांग्रेस ने अहम भूमिका अदा की थी और जेल से बाहर आने के बाद उन्हें कुछ दिनों तक कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान में रहना पड़ा था.
जेल से बाहर आने के बाद कफील खान ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से मुलाकात की थी और उन्हें कानूनी मदद के लिए धन्यवाद दिया था. इसके बाद माना जा रहा था कि कफील खान कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं, लेकिन वह सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मिलकर साइकिल पर सवार हो गए. देवरिया-कुशीनगर सीट से उन्हें सपा ने प्रत्याशी बनाया, जहां पर उनके सामने बीजेपी ने छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष रतन पाल सिंह के उतारकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया.