श्री अकाल तख्त साहिब की तरफ से तनखाइया घोषित किए जाने पर पूर्व उपमुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने एक्स पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने ट्वीट किया, “…दास अपना सिर झुकाता है और मीरी पीरी के सर्वोच्च तीर्थस्थल श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा जारी आदेश को स्वीकार करता है। आदेश के अनुसार, मैं जल्द ही श्री अकाल तख्त साहिब के सामने पेश होकर माफी मांगूंगा।
श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि पांच सिंह साहिबान ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि सुखबीर सिंह बादल ने पंजाब सरकार में उपमुख्यमंत्री व शिअद के अध्यक्ष रहते हुए कुछ ऐसे फैसले लिए, जिससे पंथ की छवि को काफी नुकसान पहुंचा। इससे शिरोमणि अकाली दल के साथ-साथ सिख हितों को भी भारी नुकसान हुआ, इसलिए सरकार में रहते हुए सुखबीर सिंह बादल और उनके सहयोगी मंत्री भी इस सारे मामले में बराबर के दोषी हैं। उन्हें भी 15 दिनों के भीतर अपना स्पष्टीकरण देना होगा। जब तक सुखबीर सिंह बादल अपने सहयोगियों के साथ एक विनम्र सिख की तरह अकाल तख्त साहिब पर गुरु ग्रंथ साहिब की उपस्थिति में सिख संगत और पांच सिंह साहिबान के सामने अपनी गलतियों को स्वीकार करके धार्मिक सजा पूरी नहीं करते, तब तक वह तनखाइया ही रहेंगे। धार्मिक सजा पूरी होने तक वह किसी राजनीतिक व सामाजिक गतिविधियों में हिस्सा नहीं ले सकेंगे।
अकाल तख्त पर पेश होंगे सुखबीर: शिअद
तनखाइया घोषित करने पर शिरोमणि अकाली दल के प्रवक्ता विरसा सिंह वल्टोहा ने कहा कि अब सुखबीर बादल श्री अकाल तख्त साहिब पर पेश होंगे। वहीं, अकाली नेता दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि श्री अकाल तख्त साहिब से जो भी आदेश आया है, शिअद उसे सिर झुकाकर स्वीकार करता है। सुखबीर बादल ने पहले ही साफ कर दिया था कि जो भी आदेश सिंह साहिब की ओर से आएगा, वह उसे एक विनम्र सिख के तौर पर स्वीकार करेंगे।
क्या होता है तनखाइया?
सिख पंथ में श्री अकाल तख्त साहिब की ओर से पंथ से जुड़ी गलतियों के लिए किसी व्यक्ति को दोषी करार दिए जाने को तनखाइया और धार्मिक सजा सुनाने को तनखा लगाना कहा जाता है। तनखाइया घोषित करने के बाद संबंधित व्यक्ति को अपने ऊपर लगे आरोपों का सामना करने के लिए अकाल तख्त साहिब पर बुलाया जाता है। इस दौरान अकाल तख्त से संगत के सामने सिंह साहिबान धार्मिक गलतियों को बोल कर सुनाते हैं। दोषी से पूछा जाता है कि क्या वह इन्हें स्वीकार करता है। अगर तनखाइया व्यक्ति गलतियां स्वीकार कर लेता है, तो उसे धार्मिक सजा सुनाई जाती है। गलतियां स्वीकार न करने पर उसे सिख पंथ से निष्कासित करने का एलान कर दिया जाता है। पूर्व सीएम सुरजीत सिंह बरनाला व कैप्टन अमरिंदर सिंह, शिअद नेता सुच्चा सिंह लंगाह, पटना साहिब के जत्थेदार ज्ञानी इकबाल सिंह और पूर्व मंत्री सिकंदर सिंह मलूका आदि को भी तनखाइया घाेषित किया जा चुका है।