फगवाड़ा में गत दिनों मेहली गेट इलाके में स्थित श्री कृष्णा गौशाला में एक साथ सामूहिक तौर पर हुई 23 गऊओं की मौत और बड़ी संख्या में गौवंश के अचानक बीमार होने के मामले में फगवाड़ा पुलिस ने आधिकारिक तौर पर एस.पी. कार्यालय में प्रैस कान्फ्रैंस करते हुए बड़े खुलासे किए है।
पत्रकार सम्मेलन को संबोधित करते हुए एस.पी. फगवाड़ा रुपिन्द्र कौर भट्टी ने एस.डी.एम. फगवाड़ा जशनजीत सिंह, डी.एस.पी. भरत भूषण की उपस्थिति में बताया कि गौशाला में गऊओं की मौत किसी व्यक्ति द्वारा चारे में जहर मिलाने अथवा संदिग्ध गतिविधि के होने संबंधी नहीं पाया गया हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हुए कुछ वीडियोज और इन वीडियोज को आधार बना जो भी दावे किए जाते रहे हैं वह पूरी तरह से फेक और झूठे साबित हुए हैं।
प्रकरण संबंधी पुलिस ने मामले की गंभीरता को समझते हुए पुलिस केस दर्ज कर करीब 33 लोगों से लंबी पूछताछ की है। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं पाया गया है जिसके आधार पर किसी संदिग्ध गतिविधि होने का आधार प्रमाणित हो। एस.पी. भट्टी ने कहा कि यह भी दावा किया जाता रहा है कि गऊओं के चारे में जहर मिलाई गई थी जो पूरी तरह से तथ्यहीन और गलत है।
पुलिस द्वारा मृतक गऊओं के लुधियाना में गड़वासु विश्वविद्यालय में करवाए गए पोस्टमार्टम और मौके से सरकारी तौर पर की गई चारे की सैंपलिंग और इसकी हुई गहन जांच में गौवंश की मौत नाइट्राईट प्वाइजनिंग से हुई प्रमाणित हुई है। एस.पी. भट्टी ने कहा कि ऐसा तब होता है जब हरे चारे में यूरिया का स्तर ज्यादा हो जाता है। उन्होनें कहा कि श्री कृष्णा गौशाला में जिन गऊओं की मौत हुई है इनका स्वास्थ्य पहले से ही कमजोर चल रहा था। ऐसे में अत्याधिक यूरिया की मात्रा से भरपूर हरे चारे का सेवन करने के कारण इनकी मौत हुई है।