हरियाणा में इसी साल अक्टूबर महीने में होने वाले विधानसभा चुनाव (Vidhan Sabha Elections) को देखते हुए सूबे की नायब सैनी सरकार हर वर्ग को रिझाने के लिए कई बड़ी घोषणाएं कर रही है. इसी कड़ी में अब सरपंचों की तर्ज पर निकाय चेयरमैन और वाइस चेयरमैन की भी ताकत बढ़ाने की तैयारी हो रही है.
वित्तीय अधिकारों में बढ़ोतरी की तैयारी
शहरी स्थानीय निकाय मंत्री सुभाष सुधा ने जनप्रतिनिधियों के वित्तीय अधिकारों में बढ़ोतरी का खाका तैयार कर लिया है. इसमें बिल पास कराने के लिए चेयरमैन, वाइस चेयरमैन और सचिव की कमेटी में से दो को हस्ताक्षर करने की ताकत दी जाएगी.
खुद की गाड़ी का कर सकेंगे इस्तेमाल
इसके अलावा, सरकारी कार्यों के लिए खुद की गाड़ी का इस्तेमाल करने की पॉवर दी जाएगी. इसके एवज में बाकायदा उन्हें विभाग की ओर से 16 रूपए प्रति किलोमीटर के हिसाब से ट्रेवल एलाउंस (TA) का भुगतान किया जाएगा. प्रत्येक माह वह ढाई हजार किलोमीटर तक गाड़ी का इस्तेमाल कर सकेंगे.
सीएम की स्वीकृति का इंतजार
बता दें कि निकाय चेयरमैनों की ओर से लंबे समय से वित्तीय पावर बढ़ाने सहित अन्य अधिकार देने की मांग की जा रहीं हैं. इस संबंध में शहरी निकाय मंत्री सुभाष सुधा ने प्रदेश भर के चेयरमैनों के साथ बैठक की थी, जिसमें उनकी मांगों को उचित बताते हुए प्रस्ताव तैयार करने के आदेश दिए थे. फिलहाल, सुभाष सुधा की ओर से मुख्यमंत्री कार्यालय को फाइल भेजी जा चुकी है, जहां से सीएम सैनी की स्वीकृति का इंतजार हो रहा है.
पेमेंट अप्रूवल कमेटी में मिलेगी जगह
निकाय एसोसिएशन की ओर से महीनों पहले निकाय मंत्री सुभाष सुधा के साथ हुई बैठक में 5 सूत्रीय एजेंडे को लागू करने की मांग की गई थी. एसोसिएशन की प्रदेश अध्यक्ष रजनी विरमानी ने सुभाष सुधा को बताया है कि पेमेंट अप्रूवल कमेटी में जिन- जिन सदस्यों को रखा गया है, उनके बीच विवाद होने की संभावना ज्यादा है, इसलिए इस कमेटी में सिर्फ निर्वाचित अध्यक्ष व जो भी अधिकारी हो तथा जिस वार्ड में काम होना हो सिर्फ वहां के निर्वाचित मेंबर को ही शामिल किया जाए.
20 लाख तक का होगा निजी कोष
सभी निकायों में निर्वाचित अध्यक्ष के पास भी कम से कम 15- 20 लाख रुपए तक के काम करवाने के लिए हर महीने निजी कोष में बजट दिया जाए. सभी शहरों में काफी सामुदायिक केंद्र व धर्मशालाएं लंबे समय से बनी हैं, जो जर्जर हालत में पहुंच गई है लेकिन उनके पास मलकीयत के दस्तावेज नहीं है. ऐसी धर्मशालाओं के जीर्णोद्वार का काम निकायों को देना चाहिए. इसके अलावा, सभी चेयरमैनों को सिक्योरिटी के तहत अंगरक्षक उपलब्ध करवाने के साथ ही अफसरों पर प्रधानों का नियंत्रण स्थापित करने की पॉवर देनी चाहिए.