रिर्पोट :- गौरव सिंघल, वरिष्ठ संवाददाता, सहारनपुर मंडल।
सहारनपुर। आज ग्राम पनियाली कासिमपुर में गन्ना किसानों की बैठक को संबोधित करते हुए पश्चिम प्रदेश मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भगत सिंह वर्मा ने कहा कि भाजपा की योगी सरकार पिछले चार वर्षों से गन्ना किसानों की घोर उपेक्षा करती आ रही है। पिछले चार वर्षों में योगी सरकार ने गन्ने का एक रूपया कुंतल भी रेट नहीं बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि चीनी मिलों से सरकार समय से गन्ना भुगतान भी नहीं करा रही है और न ही चीनी मिलों से गन्ना किसानों को ब्याज ही दिला रही है। राष्ट्रीय अध्यक्ष भगत सिंह वर्मा ने कहा कि भाजपा की प्रदेश सरकार गन्ना सीजन 2021-22 के लिए गन्ने का लाभकारी रेट 600 रूपए कुंतल तत्काल घोषित करें। जो आसानी से नकद दिया जा सकता है।
वर्मा ने कहा कि प्रदेश की चीनी मिलों में जहां एक कुंतल गन्ने से 12 किलोग्राम से 14 किलोग्राम तक चीनी बन रही है वहीं पर एक कुंतल गन्ने से साढे चार किलो ग्राम शीरा बनता है। शीरे से एक बल्क लीटर अल्कोहल बनता है। जब यह एक लीटर अल्कोहल उत्तर प्रदेश में देसी शराब में प्रयोग होता है तो प्रदेश सरकार के खाते में एक्साइज ड्यूटी के रूप में 700 रूपए नकद चले जाते है। जब यह एक लीटर अल्कोहल अंग्रेजी शराब में प्रयोग होता है तो 1000 रूपए से अधिक सरकार के खाते में जाता है। इसके बावजूद भी लगातार मेहनत से गन्ना पैदा करने वाले गन्ना किसानों को गन्ने का लाभकारी रेट 600 रूपए कुंतल सरकार क्यों नहीं दिलाती है। भगत सिंह वर्मा ने कहा कि पिछले चार वर्षों में खाद, कीटनाशक, डीजल, मजदूरी लगातार महंगी होने से गन्ना उत्पादन पर लागत दोगुनी हो गई है। एक कुंतल गन्ने के उत्पादन पर 440 रूपए कुंतल लागत आ रही है।
इस हिसाब से गन्ने का लाभकारी रेट 660 रूपए कुंतल होना चाहिए। लेकिन सरकार अपनी तिजोरी भर रही है और चीनी मिलों से गन्ना किसानों को लुटवा रही है। उत्तर प्रदेश की चीनी मिलें नए समय से गन्ना किसानों को गन्ने का भुगतान कर रही हैं और भारत सरकार के नियम के अनुसार 14 दिन के अंदर चीनी मिलों से गन्ना भुगतान गन्ना किसानों को हो जाना चाहिए। अन्यथा गन्ना किसानों को 15% वार्षिक दर से ब्याज का भुगतान चीनी मिलों को करना चाहिए। जिसके लिए हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट ने भी आदेश किया हुआ है। इसके बावजूद भी प्रदेश सरकार की ढिलाई के कारण चीनी मिल मालिक गन्ना किसानों को न ब्याज का भुगतान कर रहे हैं और ना ही गन्ने का भुगतान समय से कर रहे हैं। गन्ना किसानों के सामने भारी आर्थिक संकट पैदा हो गया है। चीनी मिलों से गन्ना भुगतान नहीं मिलने के कारण गन्ना किसान एक-एक रुपए को मोहताज है।
भगत सिंह वर्मा ने कहा कि सहारनपुर जिले की बजाज चीनी मिल, गांगनौली पर जिले में सबसे अधिक गन्ना भुगतान 236 करोड रुपए बकाया है और पिछले वर्षों में देरी से किए गए गन्ना भुगतान पर लगा ब्याज 125 करोड रुपए बकाया है। भगत सिंह वर्मा ने भाजपा की प्रदेश सरकार, चीनी मिल मालिकों व गन्ना विभाग को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि यदि सरकार ने गन्ने का लाभकारी रेट 600 रूपए कुंतल तत्काल घोषित नहीं किया, चीनी मिलों से गन्ना भुगतान तुरंत न कराया, पिछले वर्षों का ब्याज अविलंब न दिलाया तो गन्ना किसान दिल्ली की तर्ज पर जिला मुख्यालय पर बड़ा आंदोलन करेगा। बैठक की अध्यक्षता करते हुए पश्चिम प्रदेश मुक्ति मोर्चा के मंडल अध्यक्ष सरदार गुलविंदर सिंह बंटी ने कहा कि भाजपा की केंद्र और प्रदेश सरकार किसान व गरीब विरोधी है। भाजपा के नेताओं का अन्नदाता किसानों की आय दोगुनी करने का जुमला एक ढकोसला है।
किसानों की आय दोगुनी तो दूर आधी रह गई है और अन्नदाता किसान भारी आर्थिक संकट से गुजर रहा है। जिसका सबसे बड़ा उदाहरण बजाज चीनी मिल गांगनौली है। जिस पर गन्ना सीजन 2020-21 का अभी भी 236 करोड रुपए गन्ना भुगतान बकाया है। बैठक का संचालन करते हुए पश्चिम प्रदेश मुक्ति मोर्चा के प्रदेश महामंत्री आसिम मलिक ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष भगत सिंह वर्मा से सलाह करके इस वर्ष गन्ने का लाभकारी रेट 600 रूपए कुंतल तत्काल घोषित करें। जिससे गन्ना किसानों को थोड़ा लाभ हो सके। आसिम मलिक ने कहा कि गन्ना उत्तर प्रदेश के आर्थिक रीढ़ है। उत्तर प्रदेश में गन्ने से प्रति वर्ष 30000 करोड रुपए से अधिक राजस्व प्राप्त होता है। जबकि गन्ना किसानों को उसके गन्ने का लाभकारी मूल्य तो दूर लागत मूल्य भी सरकार नहीं दिला रही है। बैठक में भगत सिंह भुल्लर, सरदार परविंदर सिंह, चौधरी राजपाल सिंह, ऋषिपाल प्रधान, नवाब सिंह, जोगिंदर सिंह, सरदार संग्राम सिंह, सरदार रविंद्र सिंह, वरुण सिंह, अनिल कुमार, रामपाल सिंह, रविंद्र गिल, नाथीराम शर्मा, गुलशन सैनी, कुलबीर सिंह, मनोज कुमार, रामपाल, भूरा, यशपाल सिंह, अंशुल कुमार आदि ने भाग लिया।