नई दिल्ली। चावल भारतीय खाने का बेहद ज़रूरी हिस्सा होता है। भारत में कई जगह खाने का मतलब ही चावल होता है। जब सही मात्रा खाया जाए, तो चावल सेहतमंद होते हैं। इसे बनाना भी काफी आसान है, इसलिए ये उन लोगों के पसंदीदा होते हैं जिनके पास खाना बनाने का ज़्यादा समय नहीं होता।
लेकिन अगर चावल अच्छी तरह से न पके हों, तो ये आपकी सेहत को काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि अगर चावल अच्छी तरह पके न हों, तो उसे खाने से आपको कैंसर भी हो सकता है। जी, हां आपने बिल्कुल सही पढ़ा।
आजकल हम जो कुछ भी खा रहे हैं, वो कैमीकल्स से भरा हुआ होता है। जिसकी वजह से आगे जाकर हमें स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियां होती हैं।
क्या कहता है शोध
इंग्लैंड में क्वीन्स यूनिवर्सिटी बेलफास्ट द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, मिट्टी में औद्योगिक विषाक्त पदार्थों और कीटनाशकों से निकलने वाला रसायन चावल को ख़तरनाक बना सकता है। यह कई मामलों में आर्सेनिक विषाक्तता का कारण भी बन सकता है।
दूसरा शोध…
सिर्फ एक ही नहीं बल्कि ऐसे कई शोध हुए हैं, जो दावा करत हैं कि चावल एक कार्सिनोजेन (carcinogen) है, जो कैंसर को बढ़ावा देता है।
एक अन्य अध्ययन में, महिलाओं ने कैलिफोर्निया शिक्षक अध्ययन में भाग लिया, जिसे 90 के दशक के मध्य में स्तन और अन्य कैंसर के संभावित जोखिम कारकों की पहचान करने के लिए शुरू किया गया था। फॉलो-अप के दौरान कुल 9,400 प्रतिभागियों को कैंसर हो गया था, जिनमें ब्रेस्ट और लंग कैंसर के मामले सबसे ज़्यादा थे।
आर्सेनिक के नुकसान
आर्सेनिक विभिन्न खनिजों में मौजूद एक रसायन है। इसका उपयोग औद्योगिक कीटनाशक बनाने में किया जाता है। ऐसे कुछ देश हैं जहां के ग्राउंड-वॉटर में आर्सेनिक का उच्च स्तर है। लेकिन अगर हम खाने या पानी के ज़रिए लंबे समय तक रसायन के संपर्क में रहते हैं, तो यह आर्सेनिक विषाक्तता पैदा कर सकता है। जिसकी वजह से उल्टी, पेट में दर्द, दस्त और यहां तक कि कैंसर भी हो सकता है। शोध के मुताबिक, चावल में आर्सेनिक का उच्च स्तर होता है, इसलिए अगर इसे सही तरीके से न पकाया जाए, तो भविष्य में यह स्वास्थ्य से जुड़ी दिक्कतें पैदा कर सकता है।
चावल को खाने का सही तरीका
इस शोध का मतलब यह नहीं कि आप अपना पसंदीदा खाना ही खाना छोड़ दें। स्टडी के अनुसार, चावल को पकाने से पहले इन्हें रातभर पानी में भीगोकर रखा जाए। यहीं इसे बनाने का सबसे बेस्ट तरीका है। इस तरह चावल को पकाने से टॉक्सिन्स का स्तर 80 प्रतिशत कम हो जाता है।