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Rajya Sabha Election: क्रॉस वोटिंग रोकने का कोई उपाय नहीं, फूंक-फूंक कर कदम रख रही पार्टियां

आगामी राज्यसभा चुनावों (Rajya Sabha Election) में क्रॉस वोटिंग (cross voting) बड़ी समस्या है। इसकी आशंका जताई जा रही है। हालांकि, विधायकों को क्रॉस वोटिंग करने से रोकने के लिए सियासी दलों (political parties) के पास कोई उपाय नहीं है। इन चुनावों में न तो पार्टी कोई व्हिप जारी कर सकती है और न ही क्रॉस वोटिंग करने वालों को अयोग्य ठहराने की शिकायत कर सकती है।

चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि राज्यसभा चुनावों और राष्ट्रपति चुनावों में पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार को वोट नहीं देने का मामला संविधान की दसवीं अनुसूची के दायरे में नहीं आता।

राज्यसभा चुनावों की वोटिंग गैरविधायी गतिविधि
संविधान विशेषज्ञ वरिष्ठ अधिवक्ता एचपी शर्मा के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के इस बारे में दो फैसले हैं। पहला पशुपति नाथ सुकुल बनाम नेमीचंद्र जैन (1984) है। इसमें कहा है कि राज्यसभा चुनावों की वोटिंग एक गैर विधायी गतिविधि है, यह राज्य विधान सदन की कार्यवाही नहीं है। इसके बाद 2006 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने कुलदीप नैयर बनाम भारत संघ में व्यवस्था दी कि राज्यसभा चुनाव सदन के बाहर की कार्रवाई है, जो संविधान की 10वीं अनुसूची (अयोग्यता का कानून) के दायरे में नहीं आएगी। साथ ही कोर्ट ने इस फैसले में ओपन बैलेट प्रणाली को भी सही ठहराया था।

एक-एक वोट कीमती, पूरी एहतियात बरत रही कांग्रेस
राज्यसभा चुनाव के लिए महाराष्ट्र, राजस्थान, हरियाणा और कर्नाटक में 10 जून को मतदान होगा। कांग्रेस के लिए महाराष्ट्र और कर्नाटक में कोई मुश्किल नहीं है, पर राजस्थान और हरियाणा में विधायकों को एकजुट रखने में पार्टी के पसीने छूट रहे हैं। पार्टी को अपने उम्मीदवारों की जीत का भरोसा है हालांकि, यह डर भी सता रहा है कि एक भी वोट इधर-उधर हुआ तो गणित बदल सकता है।

कांग्रेस ने हरियाणा के विधायकों को छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधायकों को उदयपुर में रखा है। पार्टी जहां विधायकों को एकजुट रखना चाहती है, वहीं उन्हें राज्यसभा चुनाव में वोट देने का तरीका भी समझा रही है। ताकि, किसी भी विधायक का वोट निरस्त न हो। इतना ही नहीं, पार्टी यह भी तय कर रही है कि विधायक किस क्रम में वोट डालेंगे।

हरियाणा : एक वोट से भी बिगड़ सकता है खेल
हरियाणा में कांग्रेस की धडकनें तेज हैं। एक भी वोट इधर-उधर हुआ, तो तस्वीर बदल सकती है। राज्यसभा की एक सीट के लिए 31 विधायकों की जरूरत है। विधानसभा में पार्टी के पास 31 ही विधायक हैं। पार्टी ने उन्हें छत्तीसगढ़ के एक रिजॉर्ट में रखा है, पर वहां 29 विधायक पहुंचे हैं। कुलदीप बिश्नोई नाराज हैं, वहीं किरण चौधरी की तबीयत ठीक नहीं है। पार्टी दावा कर रही है कि बिश्नोई की राहुल गांधी से मुलाकात के बाद नाराजगी खत्म हो जाएगी।

राजस्थान : विधायकों के संपर्क में पार्टी
वरिष्ठ नेता ने कहा कि राजस्थान में पार्टी के पास पर्याप्त संख्या है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लगातार 126 विधायकों के समर्थन का दावा कर रहे हैं। इसके बावजूद पार्टी कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है। इसलिए, पार्टी पर्यवेक्षक लगातार विधायकों के संपर्क में हैं। क्योंकि, भाजपा विधायकों में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है।

व्हिप जारी नहीं हो सकता
चुनाव आयोग के अनुसार, पार्टी अपने उम्मीदवार को वोट डालने को बाध्य करने के लिए किसी सांसद या विधायक को उम्मीदवार विशेष के लिए व्हिप भी जारी नहीं कर सकती। ऐसी व्हिप जारी करना आईपीसी की धारा 171 सी (चुनावों में अवैध रूप से प्रभाव का इस्तेमाल, सजा अधिकतम एक वर्ष या जुर्माना) के तहत अपराध होगा।

कार्रवाई का विकल्प
क्रॉस वोटिंग के मामले में पार्टी विधायक पर अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकती है, उसे पार्टी से निकाल या निलंबित कर सकती है लेकिन इसके बावजूद वे सदन के सदस्य बने रहेंगे। अगले विधानसभा चुनावों में पार्टी उसे टिकट देने से इनकार कर सकती है, लेकिन उसे अयोग्य ठहराने की कार्रवाई नहीं कर सकती।

ओपन बैलेट प्रणाली
ओपन बैलेट की इस प्रणाली का प्रयोग चुनावों में भ्रष्ट व्यवहार रोकने या वोट खरीदने के लिए पैसे के इस्तेमाल को रोकने के लिए किया जाता है। वोट देने से पहले विधायक को अपना मत पार्टी के अधिकृत एजेंट को दिखाना जरूरी है। वरना टिकट अवैध हो जाता है। यही वजह है कि पार्टी को पता लग जाता है कि वोट किसे दिया गया है।