हिन्दू धर्म में सावन मास की तरह ही मार्गशीर्ष मास (Margashirsha month) का महत्व है क्योंकि इसे भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं के समान ही बताया है। इस माह का प्रत्येक दिन धार्मिक महत्व वाला होता है। मार्गशीर्ष मास की अमावस्या (Amavasya) और पूर्णिमा तो विशेष हैं। इस वर्ष की मार्गशीर्ष अमावस्या (Margashirsha Amavasya) 04 दिसंबर को थी और इसके लगभग 15 दिनों के बाद मार्गशीर्ष पूर्णिमा होगी। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण भगवान (Satyanarayan Bhagwan) की कथा का श्रवण किया जाता है, माता लक्ष्मी की पूजा होती है और चंद्रमा की भी आराधना करते हैं। मार्गशीर्ष मास है, इसलिए इस पूर्णिमा पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का भी विशेष लाभ होता है। आइए जानते हैं कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा(Margashirsha Purnima ) कब है, उसकी तिथि क्या है और इसका महत्व क्या है?
मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2021 तिथि
पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 18 दिसंबर दिन शनिवार को प्रात: 07 बजकर 24 मिनट से होगा। पूर्णिमा तिथि अगले दिन 19 दिसंबर दिन रविवार को सुबह 10 बजकर 05 मिनट तक मान्य है। ऐसे में मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2021 18 दिसंबर को है।
शुभ योग में मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2021
इस साल की मार्गशीर्ष पूर्णिमा शुभ योग में है। 18 दिसंबर को साध्य योग सुबह 09 बजकर 13 मिनट तक है, उसके बाद शुभ योग प्रारंभ हो जाएगा। इसके बाद शुभ योग (good yoga) पूर्णिमा तिथि तक बना रहेगा।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2021 चंद्रोदय
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन चंद्रमा शाम 04 बजकर 46 मिनट पर उदय होगा। उस दिन चंद्रास्त का समय प्राप्त नहीं है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा का महत्व
मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत करने से व्यक्ति के सभी पाप मिट जाते हैं। जो लोग मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर नदी स्नान और दान करते हैं, उनको कई गुणा पुण्य फल प्राप्त होता है। इस दिन चंद्रमा की पूजा करने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है। भगवान श्रीकृष्ण का भी आशीर्वाद मिलता है।