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युवक बना राजनीति का शिकार प्रधान ने गांव के मूल निवासी को बताया बाहरी

रोजी रोटी के लिए परदेश गये युवक की नागरिकता पड़ी खतरें में

रिपोर्ट : प्रभाकर तिवारी रामसनेहीघाट बाराबंकी-आसमान से गिरा खजूंर मे अटका वाली कहावत चरितार्थ कर रही गैरप्रांत से लौटे लोगो को।गांव लौटने पर सरपंच के सौतेला ब्योहार की वजह से गांव मे बने क्वारंटीन सेन्टर मे दाखिला नही मिल रहा है।जब पीड़ित ने इसकी शिकायत जिम्मेदार अधिकारियों से की तो प्रधान के रासूख के आगे अधिकारी भी नतमस्तक नजर आ रहे है।जिससे प्रदेश से लौटे लोगो दोहरी मार के शिकार हो रहे है।

तहसील रामसनेहीघाट अन्तर्गत सिल्हौर ग्राम पंचायत के लगभग दो दर्जन लोग अन्य प्रदेश व जिले मे रहकर दिहाड़ी मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करते थे।लेकिन कोरोना वायरस के चलते सरकार ने लाक डाउन कर दिया।और रोजगार धंधा ठप होने से गांव लौट रहे है।सुरक्षा की दृष्टि से गांव स्थित पूर्व माध्यमिक बिद्यालय को क्वारंटीन सेंटर बनाया गया है।जिसकी देख रेख की जिम्मेदारी स्वाथ्य बिभाग के साथ ग्राम प्रधान कर रहे है।लेकिन यहां की प्रधान स्नेहलता तिवारी गांव पहुंचने वाले लोगो के साथ सौतेला ब्योहार कर रही है।

अधिकतर अपने खास मानने वाले लोगो को क्वारंटीन के बजाय उन्हे खुलेआम गांव मे घूमा रही है।वही गैर स्पोर्टरो को स्कूल मे कैद करवाने के लिए कटिबद्वता से पालन करा रही है।यही नही एक ब्यक्ति के लिए सारी सीमा लांघ बैठी जब यहां के रहने वाले घन्श्याम पुत्र रामनाथ रावत हरियाणा से सीधे गांव के क्वांरटीन सेन्टर पहुंचे लेकिन उन्हे गांव का नागरिक न होने की बात कहकर उसे स्कूल से बाहर करवा दिया।पीड़ित वही पीपल के पेड़ के समीप धूप छाव बरसात का सामना करते हुए पिछले तीन दिनो से बैठा है। जबकि उक्त घनश्याम के बाप दादा यही के निवासी रहे हैं और वर्तमान में घनश्याम स्वयं वोटर हैं, जब चिकित्सक उसके पास पहुंचे तो प्रधान रौब झाड़कर उनसे भी बिरोध पर उतर आई।पीड़ित ने बताया कि जब से गांव पहुंचा हूं तब से पानी पीकर अपनी सांस चला रहा हूं।इस बात को लेकर गांव मे आक्रोश ब्याप्त हो गया।है,
सिल्हौर गांव के बाहर विद्यालय में पहले से कोरोंटाइन किए गए लोगों ने बताया कि खाना खाने की गुणवत्ता बिल्कुल खराब हैं, कोरोंटाइन का समय जेल कैदी के माफिक बीत रहा है कच्ची तहरी खाने में मिली है,

वहीं दिल्ली शहर से आए वीरेंद्र कुमार पाण्डेय ने बताया कि सुबह से कोरोंटाइन हुआ हूं शाम पांच बजने को हैं परंतु चारपाई बिस्तर व खाने पीने की अब तक कोई व्यवस्था नहीं की गई है, यदि ऐसा ही रहा तों कोरोनावायरस से तों बच गए परंतु भूखे पेट व गर्मी से जरूर मर जाएंगे,