सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की नई स्थानांतरण याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया। एजेंसी ने नीट (यूजी) पेपर लीक मामले में राजस्थान उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित याचिकाओं को शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने एनटीए की याचिका पर सुनवाई की जिसमें न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल हैं।
शीर्ष अदालत ने स्थानांतरण याचिका को नीट (यूजी) परीक्षा रद्द करने की मांग वाली मुख्य याचिकाओं के साथ जोड़ने का आदेश दिया जिन पर 18 जुलाई को सुनवाई होनी है। हालांकि उसने राजस्थान उच्च न्यायालय के खिलाफ लंबित मामलों की सुनवाई पर रोक के लिए कोई औपचारिक आदेश जारी करने से इनकार कर दिया।
एनटीए का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता ने जब जोर देकर राजस्थान हाई कोर्ट में लंबित मामलों की सुनवाई पर रोक लगाने का अनुरोध किया तो खंडपीठ ने कहा, “एक बार हमारे नोटिस जारी करने के बाद आम तौर पर उच्च न्यायालय आगे सुनवाई नहीं करते हैं।”
इससे पहले 20 जून को शीर्ष अदालत ने देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों के समक्ष नीट (यूजी) पेपर लीक से जुड़े लंबित मामलों की सुनवाई पर रोक लगा दी थी और एनटीए को ग्रेस मार्क्स में गड़बड़ी से जुड़ी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने के आवेदन वापस लेने की अनुमति दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने 13 जून को जारी आदेश में ग्रेस मार्क्स के जुड़े मामले को समाप्त करने का फैसला किया था क्योंकि एनटीए ने अदालत को बताया था कि वह 1,563 छात्रों को दिये गये ग्रेस मार्क्स वापस ले रही है। इन छात्रों को 23 जून को दोबारा परीक्षा में शामिल होने या अपने मूल मार्क्स से संतोष करने का विकल्प दिया गया था।
इस बीच शीर्ष अदालत के समक्ष अपने हालिया शपथपत्र में केंद्र सरकार ने बताया है कि आईआईटी मद्रास द्वारा किये आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि 5 मई को आयोजित नीट (यूजी) परीक्षा में न तो बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है और न ही किसी स्थान विशेष के छात्रों को अंकों के मामले में कोई फायदा हुआ है।