भाजपा (BJP) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार (Central government) 2024 में सत्ता में आई थी, लेकिन अब उसके लिए नया साल 2025 (New Year 2025) बहुत कुछ तय करने वाला होगा। भाजपा को लगातार तीसरी बार (Third consecutive time) केंद्र की सत्ता जरूर मिल गई, लेकिन अपने दम पर 240 सीटें ही मिल पाने के चलते वह सत्ता से चूक गई। ऐसी स्थिति में उसके लिए जेडीयू (JDU) की 12 और लोजपा (BJP) की 5 सीटें अहम हैं। वहीं आंध्र की सत्ताधारी पार्टी टीडीपी की 14 और एकनाथ शिंदे गुट की 9 सीटें 272 के आंकड़े को बनाए रखने के लिए अहम हैं। भाजपा ने लोकसभा चुनाव के बाद आई अपेक्षाकृत निराशा को हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव में बड़ी जीत हासिल करके दूर किया है, लेकिन अभी बिहार चुनाव (Bihar elections) में उसकी परीक्षा होगी। खासतौर पर बिहार की राजनीति के पल-पल बदलते मिजाज को देखते हुए यदि साल के अंत तक कोई उलटफेर हो जाए तो वह भी हैरानी भरा नहीं होगा।
बिहार में नीतीश कुमार करीब दो दशक से ऐसी ताकत बने हुए हैं, सत्ता जिनके इर्द-गिर्द ही घूमती है। चाहे आरजेडी के सहयोग से बने या फिर भाजपा के साथ, सीएम नीतीश कुमार ही होते हैं। ऐसे में जब अटल जी की जयंती पर डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि भाजपा की बिहार में अपने दम पर सरकार होना ही अटल जी के लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगा तो यह बात जेडीयू को चुभ गई। फिर जो पोस्टर जेडीयू ने लगाए थे, उसने भी साफ कर दिया कि बिहार में नीतीश कुमार के नाम पर कोई समझौता नहीं होगा। जेडीयू ने साफ लिखा- ‘बात जब बिहार की हो तो चेहरा सिर्फ नीतीश कुमार का हो।’ इस तरह बिहार चुनाव से महीनों पहले ही रस्साकशी शुरू हो चुकी है।