सीआरपीएफ शिविरों में मौजूद जवानों का ध्यान भटकाने के लिए नक्सली पटाखों और अगरबत्तियों का इस्तेमाल कर रहे हैं, ताकि वे फिर रॉकेटों और राइफलों से हमले कर सकें। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि उनका यह अनोखा तरीका तेलंगाना में कोठागुडेम जिले में सीआरपीएफ के पुसुगुप्पा शिविर के समीप संज्ञान में आया है।
नक्सल विरोधी अभियान में शामिल एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उस दिन अंधेरा होते ही शाम 6.30 बजे तेलंगाना-छत्तीसगढ़ सीमा से लगे शिविर में मौजूद जवान वहां से 200 मीटर दूर धमाकों की आवाज व उसके बाद निकले धुएं से चौकन्ने हो गए थे। घने जंगल में नक्सली हमले की आशंका से जवानों ने पोजिशन ले ली। जल्द ही छिपे हुए नक्सलियों की ओर से फायरिंग व ग्रेनेड के धमाकों की आवाज गूंजने लगी। जवानों ने भी जवाबी फायरिंग की और फिर नक्सली भाग गए।
पेड़ों से लटके मिले पटाखे
शिविर के आसपास निरीक्षण में पेड़ों से लटके हुए पटाखे मिले जिनमें विस्फोट करने के लिए अगरबत्तियों का इस्तेमाल किया गया था। अगरबत्तियों का इस्तेमाल टाइमर के रूप में हुआ था ताकि पटाखों में विस्फोट से पहले नक्सली सुरक्षित स्थान पर पहुंच सकें।
बाड़ को पहुंचा नुकसान
सीआरपीएफ अधिकारी ने बताया कि कैंप की बाड़ को कुछ नुकसान पहुंचा है, क्योंकि रॉकेट उनके पास आकर गिरे, लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ। अधिकारी ने बताया कि पेड़ों पर रस्सियों से लटके दिवाली के पटाखे और उन्हें फोड़ने के लिए जली हुई अगरबत्ती का इस्तेमाल किया गया था।