चीन(China) की दांवपेंच को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत (India) ने तैयारी शुरु कर दी है. इसके अंतर्गत दक्षिण चीन सागर (South China Sea) में बीजिंग के दबदबे को कम करने और पूर्वी एशियाई देशों के साथ अपने सुरक्षा संबंधों को बेहतर बनाने के लिए भारत बहुत जल्द ही एक नौसैनिक टास्क फोर्स (Indian Navy Task Force) भेजा है. ऐसा सोचा जा रहा है कि युद्धपोत की तैनाती जो कि साउथ चाइना सी में है. उससे चीन में मानसिक तौर पर दबाव पर आ सकता है.
दो महीनों के लिए हुई तैनाती
चीन (China) का परंपरागत रूप से विरोध करने से शुरु से ही भारतीय सेना बचती रही है. लेकिन लद्दाख हिंसा के बाद से ही चीन के मामले में भारतीय सेना बहुत सख्त दिखाई दे रही है. मुख्य बात ये है कि भारत के समर्थन में अमेरिका भी है. एक बयान में नौसेना ने बताया कि दो महीने के लिए एक गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर और एक फ्रिगेट मिसाइल सहित चार जहाजों को दक्षिण पूर्व एशिया, दक्षिण चीन सागर और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में तैनात किया जाएगा.
INDIAN NAVY का बयान
नौसेना ने युद्धपोतों (Warships) की तैनाती को लेकर कहा है कि वह समुद्री क्षेत्र में उत्तम व्यवस्था सुनिश्चित करने की दिशा में सहभागी देशों के साथ परिचालन पहुंच, शांतिपूर्ण उपस्थिति और एकजुटता को रेखांकित करने की इच्छा रखती है. नौसेना ने इसके आगे बताया है कि इस तरह की समुद्री पहल आम समुद्री हितों और समुद्र की स्वतंत्रता के प्रति प्रतिबद्धता के आधार पर ही भारतीय नौसेना और मित्र देशों के बीच तालमेल और समन्वय को बढ़ाती है.
CHINA पर किया घिराव
भारतीय नौसेना ने कहा कि भारतीय जहाज गुआम के तट पर अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ वार्षिक संयुक्त युद्ध की प्रैक्टिस में भाग लेंगे. ज्ञात हों कि दक्षिण चीन सागर में चीन के रवैये से पूर्वी एशियाई देश बहुत अधिक परेशान हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका ने मिलकर क्वाड ग्रुप भी बनाया है, जिसका मुख्य उद्देश्य चीन की विस्तारवादी नीति पर लगाम लगाना है. चीन, साउथ चाइना सी में अमेरिका सहित बाकी देशों द्वारा युद्ध अभ्यास के बारे में बुरा ही करता रहा है.