खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर (Khalistani terrorist Hardeep Singh Nijjar) की हत्या (killing) को लेकर भारत और कनाडा (India and Canada) विवादों में उलझे हुए हैं। इस बीच नाटो (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) में अमेरिकी स्थायी प्रतिनिधि जूलियन स्मिथ (Julian Smith) ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि नाटो परमाणु अप्रसार, समुद्री सुरक्षा, साइबर सुरक्षा और जलवायु जैसे मुद्दों पर भारत के साथ बातचीत करने के लिए तैयार है। उन्होंने यह भी कहा कि यूरो-अटलांटिक गठबंधन नाटो में शामिल होने के लिए भारत पर कोई दबाव नहीं डाला जाएगा।
एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि नई दिल्ली में हुई जी20 की घोषणा में संयुक्त राष्ट्र चार्टर को बरकरार रखा है जिसका रूस उल्लंघन कर रहा है। उन्होंने इंडो-पैसिफिक में नाटो सदस्यता के किसी भी विस्तार से इनकार किया। उन्होंने कहा, “मैं G20 की अध्यक्षता के लिए भारत को धन्यवाद देती हूं। हम भारत द्वारा प्रदान किए गए नेतृत्व की सराहना करते हैं। मैं भारत द्वारा यूक्रेन को प्रदान की जा रही महत्वपूर्ण मानवीय सहायता के लिए भी धन्यवाद देना चाहती हूं।” इस दौरान उन्होंने जी20 घोषणापत्र का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र चार्टर के ‘संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता’ के 2 सिद्धांतों का नई दिल्ली जी20 घोषणापत्र में उल्लेख था। यह देखर अच्छा लगा।
‘नाटो की ओर से भारत पर कोई दबाव नहीं’
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि सामूहिक रूप से जी20 इस बात पर सहमत है कि उन 2 सिद्धांतों की रक्षा करना महत्वपूर्ण है। जी20 के बीच आम सहमति यह थी कि हमें अंतरराष्ट्रीय कानून को कायम रखना चाहिए और संयुक्त राष्ट्र चार्टर की रक्षा करनी चाहिए। रूस इस समय स्पष्ट रूप से संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन कर रहा है, और हमें इस तथ्य से राहत मिलती है कि वैश्विक समुदाय इस बात से चिंतित है कि रूस क्या कर रहा है। हमारा दृष्टिकोण यह है कि भारत इसकी सराहना करता है और जी20 सदस्य इसकी सराहना करते हैं और सामूहिक रूप से हम सभी चाहते हैं कि यह युद्ध समाप्त हो।”
अमेरिकी दूत ने भारत के नाटो में शामिल होने को लेकर कहा कि यह पूरी तरह से भारत पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा, “नाटो भारत के साथ संभावित बातचीत को लेकर ओपन है। लेकिन अंततः यह एक ऐसा निर्णय है जो भारत में हमारे दोस्तों के हाथों में है। हम इसके लिए तैयार हैं। हम कुछ अलग-अलग मुद्दों पर बातचीत की उम्मीद कर सकते हैं। भारत को जलवायु सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन से निपटने में हमारे सामूहिक अनुभवों को साझा करने में मदद मिल सकती है। शायद हम परमाणु अप्रसार, समुद्री सुरक्षा, साइबर सुरक्षा के बारे में बातचीत कर सकते हैं। लेकिन फिर भी, नाटो की ओर से कोई दबाव नहीं है। हम इसे भारत के हाथों में छोड़ते हैं। यूक्रेन में युद्ध पर, हम दोनों पक्षों को बातचीत की मेज पर लाने की कोशिश करने के भारत के प्रयासों की सराहना करते हैं।”
“भारत को अलग-थलग नहीं कर सकते”
बता दें कि कनाडा भी एक नाटो सदस्य देश है। लेकिन निज्जर की हत्या के मामले में कनाडा को अपने दोस्त देशों के बहुत ज्यादा मुखर समर्थन नहीं मिला है। हाल ही में कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपनी संसद में खड़े होकर कहा था कि एक कनाडाई नागरिक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार के एजेंटों का हाथ था। इसको लेकर कनाडा के मित्र देशों ने चिंता जाहिर की है लेकिन भारत पर किसी तरह का दबाव डालने से इनकार किया है। इसके बाद से कनाडाई मीडियाई का मानना है कि ऐसा लगता है कि भारत इतना शक्तिशाली है कि उसे अलग-थलग नहीं किया जा सकता।
“फाइव आइज” कहे जाने वाले कनाडा के सबसे महत्वपूर्ण सहयोगियों (अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड) ने अपनी चिंता जाहिर कर दी है। उन्होंने पूरी जांच का आग्रह किया है। लेकिन जून में कनाडा की धरती पर सिख अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में कथित संलिप्तता के लिए भारत की निंदा करने से परहेज किया है।
इसके कई सारे कारण हैं। आधुनिक भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है और कई विश्लेषकों का मानना है कि यह 2030 तक जापान और जर्मनी को पीछे छोड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी। 1.4 अरब से अधिक लोगों और दुनिया की सबसे बड़ी सेना के साथ भारत विश्व मामलों में एक प्रमुख शक्ति बन गया है। यह सब कनाडा के मुख्य सहयोगियों को भारत के खिलाफ खुलकर बोलना मुश्किल कर देता है।