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NASA Mars Mission: 9 नहीं बस 3 महीने में मंगल तक पहुंच जाएंगे इंसान, आशियाना बनाने के और करीब बढ़ी दुनिया

चंद्रमा (Moon) के बाद अगर दुनियाभर के वैज्ञानिकों को किसी चीज ने सबसे ज्यादा उत्साहित किया है, तो वो है मंगल ग्रह (Planet Mars). दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क (Elon Musk) मंगल पर इंसानों (Humans) को बसाने के लिए अपनी कंपनी SpaceX के जरिए काम में जुटे हुए हैं. इसके अलावा दुनिया के कई देशों की स्पेस एजेंसियां मंगल (Mars) ग्रह को लेकर शोध कर रही हैं. लेकिन अभी तक अगर किसी चीज में सबसे ज्यादा कठिनाई आई है, तो वो है मंगल (Mars) ग्रह तक जाने में लगने वाला समय.

दरअसल, वर्तमान में मौजूद रॉकेट टेक्नोलॉजी के जरिए पृथ्वी से मंगल पर जाने में करीबन नौ महीने (Nine Months) का समय लगता है. साथ ही रेडिएशन (Radiation) का खतरा भी होता है. लेकिन एक ऐसी टेक्नोलॉजी का पता चला है, जिसके जरिए ये दूरी सिर्फ तीन महीने (Three Months) में ही पूरी की जा सकती है और रेडिएशन का खतरा भी कम हो जाएगा. अमेरिकी न्यूज एजेंसी CNN की रिपोर्ट के अनुसार, एक परमाणु-चालित रॉकेट के जरिए तीन महीनों के भीतर क्रू मिशन को मंगल ग्रह पर भेजा जा सकता है. अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA 2035 तक इंसानों को मंगल पर भेजने की योजना पर काम कर रही है. लेकिन उसके आगे सबसे बड़ी चुनौती इस लाल ग्रह तक पहुंचने में लगने वाला समय है. लंबी यात्रा का मतलब है कि अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस रेडिएशन (Radiation) का खतरा भी अधिक होगा. स्पेस रेडिएशन की वजह से अंतरिक्ष यात्रियों की तबीयत मिशन के दौरान ही बिगड़ सकती है और सबसे पास का अस्पताल भी महीनों की दूरी पर होगा.

USNC-Tech कंपनी ने डिजाइन किया है स्पेसक्राफ्ट

लेकिन अब अमेरिका (America) के सिएटल (Seattle) में स्थित ‘अल्ट्रा सेफ न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी’ (USNC-Tech) एक ऐसे स्पेसक्राफ्ट डिजाइन के साथ आगे आई है, जो मंगल (Mars) तक पहुंचने में लगने वाली दूरी को परमाणु-चालित रॉकेट के जरिए कम कर देगा. वर्तमान में, मंगल की एक तरफ की यात्रा के लिए NASA का लक्ष्य लगभग पांच से नौ महीने का है. लेकिन ‘न्यूक्लियर थर्मल प्रोपल्शन’ (NTP) इंजन का प्रयोग करने के अपने ही कुछ खतरे हैं. हालांकि, USNC-Tech ने दावा किया है कि इसने यात्रा को क्रू के लिए सुरक्षित बनाने पर काम किया है.

इस तरह क्रू मेंबर्स को रेडिएशन से बचाएगा रॉकेट

USNC-Tech के निदेशक माइकल ईड्स के मुताबिक, रॉकेट को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह इंजन और क्रू क्षेत्र के बीच लिक्विड प्रोपेलेंट्स को जमा करेगा. इस दौरान रॉकेट रेडियोएक्टिव पार्टिकल्स को बाहर निकालेगा, जिससे ये सुनिश्चित होगा कि फ्लाइट के दौरान क्रू मेंबर्स को रेडिएशन का शिकार ना हो पड़े. वहीं, NASA के अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी मिशन निदेशालय के चीफ इंजीनियर जेफ शाही ने CNN को बताया कि NTP रॉकेट के जरिए दो साल से कम समय में मंगल ग्रह पर दो तरफ यात्रा की जा सकेगी.