मणिपुर (Manipur) में लंबे समय से चली आ रही अशांति ( Long standing Unrest) के बीच शांति बहाली (Hope for Restoration of Peace) की उम्मीद जागी है। राज्यपाल अजय कुमार भल्ला (Governor Ajay Kumar Bhalla) ने लूटे गए और अवैध हथियारों को सरेंडर करने के लिए 7 दिन की समय सीमा दी थी जो आज खत्म हो गई। इस अपील का असर साफ दिख रहा है, क्योंकि राज्य के विभिन्न जिलों में लोग गाड़ियों में भरकर हथियारों का जखीरा सरेंडर कर रहे हैं।
20 फरवरी को राज्यपाल ने सभी समुदायों से अपील की थी कि वे अवैध हथियार और गोला-बारूद को सात दिनों के भीतर पुलिस या सुरक्षा बलों को सौंप दें। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया था कि इस दौरान हथियार जमा करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी। समय सीमा खत्म होने से ठीक पहले बुधवार को 6 जिलों – कांगपोकपी, इम्फाल पूर्व, बिष्णुपुर, थौबल, इम्फाल पश्चिम और काकचिंग – में लोगों ने स्वेच्छा से 104 हथियार और गोला-बारूद सरेंडर किए। इनमें 12 कार्बाइन मशीन गन, राइफल्स और ग्रेनेड लॉन्चर जैसे घातक हथियार शामिल हैं। सबसे ज्यादा हथियार इम्फाल पश्चिम जिले से सौंपे गए।
मणिपुर में मैतेई संगठन ‘अरामबाई टेंगोल’ के सदस्यों ने भी 25 फरवरी को मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मुलाकात के बाद आज अपने हथियार आत्मसमर्पण कर दिए। उनके हथियार सरेंडर का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिसमें देखा जा सकता है कि कई गाड़ियों में घातक हथियार भरे हुए हैं और लोग उन पर खड़े हैं।
इससे पहले चुराचांदपुर जिले के तुइबोंग गांव में असम राइफल्स के सामने 16 हथियार सरेंडर किए गए थे, जिसमें एम-16 राइफल, एके राइफल्स और एम-79 ग्रेनेड लॉन्चर शामिल थे। जोमी और कुकी समुदाय के नेताओं ने इसमें सक्रिय भूमिका निभाई। मुख्य सचिव पी के सिंह ने 23 फरवरी को कहा था कि यदि कोई व्यक्ति सच में अपने हथियार सौंपना चाहता है तो ऐसा करने के लिए सात दिन की अवधि पर्याप्त है। उन्होंने स्पष्ट किया था कि यह अवधि समाप्त होने के बाद सुरक्षा बल अवैध हथियारों की जब्ती के लिए कार्रवाई करेंगे।
इम्फाल घाटी में बसे मेइती और पहाड़ी क्षेत्रों में बसे कुकी-जो समुदायों के बीच मई 2023 से शुरु हुई जातीय हिंसा में अब तक 250 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग बेघर हो गए हैं। केंद्र सरकार ने 13 फरवरी को यहां राष्ट्रपति शासन लागू किया था। इससे कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था जिससे राज्य में राजनीतिक अनिश्चितता पैदा हो गई थी।
राज्यपाल की अपील और हथियारों के सरेंडर को शांति की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। हालांकि, समय सीमा खत्म होने के बाद अब सुरक्षा बलों की ओर से सख्त कार्रवाई की तैयारी है। क्या यह कदम मणिपुर में स्थायी शांति ला पाएगा, यह आने वाला वक्त बताएगा।