चीन के साथ लंबे समय से चल रहे सीमा विवाद पर सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने कहा कि कोर कमांडर स्तर की 14वीं वार्ता चल रही है और मुझे उम्मीद है कि आने वाले दिनों में हम इसमें प्रगति देखेंगे। हालांकि आंशिक रूप से डिसइंगेजमेंट हुई है, लेकिन खतरा कम नहीं हुआ है।
सेना प्रमुख ने कहा कि ईस्टर्न लद्दाख में एलएसी से सेना की तैनाती तभी कम होगी, जब दोनों देशों की सेना के बीच भरोसा कायम होगा। उससे पहले डिसइंगेजमेंट होगा। फिर डीएस्केलेशन होगा और जब भरोसा बहाल होगा तब दोनों तरफ से सहमति के आधार पर तैनाती कम की जाएगी।
उन्होंने कहा, ”एलएसी को लेकर भारत-चीन मिलिट्री कमांडर लेवल की बातचीत में हर राउंड की मीटिंग से कुछ आउटकम निकलेगा, यह मानना सही नहीं है। लेकिन हमें उम्मीद है कि जो आज बातचीत चल रही है, उसमें हम पीपी-15 को लेकर किसी सहमति पर पहुंचेंगे।”
जनरल एमएम नरवणे ने कहा, ”एलएसी पर हम डेढ़ साल पहले जिस स्थिति में थे, अब उससे बेहतर स्थिति में हैं। एलएसी पर कुछ डिसइंगेजमेंट हुआ है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि खतरा कम हुआ है। हमने वहां तैनाती बढ़ाई है। बातचीत से मामला सुलझाने की कोशिश है, लेकिन हम हर माहौल के लिए तैयार हैं।”
उन्होंने कहा, ”यह कहना मुश्किल है कि एलएसी पर तनाव क्या और बढ़ सकता है। लेकिन अगर ऐसा हुआ तो फिर वॉर ही विकल्प होगा। हम हर स्थिति से निपटने और जीतने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।”
पाकिस्तान पर बोलते हुए एमएम नरवणे ने कहा, ”उनकी तरफ से प्रॉक्सी वॉर जारी है। एलओसी के दूसरी तरफ आंतकी लॉन्च पैड में 350-400 आंतकी अभी भी मौजूद हैं। यह सब खतरा है और इसे इग्नोर नहीं किया जा सकता। ड्रोन का खतरा बना हुआ है। इसके जरिए आतंकियों को लॉजिस्टिक सपोर्ट देने की कोशिश की जाती है। हम पूरी तरह अलर्ट हैं।”
उन्होंने कहा, ”सियाचिन ग्लेशियर में पाकिस्तान और हमारे सैनिक आमने सामने हैं। वहां एक्चुअल ग्राउंड पोजिशन लाइन दोनों तरफ से स्वीकार होने पर ही और उस सहमति पर साइन होने के बाद ही वहां डिसइंगेजमेंट हो सकता है। उसके बाद ही वहां से सैनिको की तैनाती हटाई जाएगी।”