घाटी में गैर-कश्मीरियों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है. इन हमलों की वजह से लोगों में गुस्सा बढ़ता जा रहा है. इधर, मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने घाटी में गैर कश्मीरियों की हो रही हत्या को लेकर बड़ा बयान दिया है. मलिक ने कहा है कि जब वो जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे तो आतंकी घटनाएं नहीं होती थीं. श्रीनगर के 50 किलोमीटर के दायरे में आतंकवादी घुसने की हिम्मत नहीं होती थी.
गौरतलब है कि घाटी में सुरक्षाबलों के ऑपरेशन से आतंकी अब इस कदर बौखला गए हैं कि वो निहत्थे मजदूरों को निशाना बना रहे हैं. सेना का सामना करने में नाकाम आतंकियों ने फिर से टारगेट किलिंग शुरू कर दी है. रविवार शाम को आतंकियों ने दक्षिण कश्मीर के कुलगाम में तीन मजदूरों को गोली मार दी. इनमें से दो मजदूरों की मौके पर ही मौत हो गई जबकि एक मजदूर बुरी तरह घायल है. तीनों मजदूर बिहार के रहने वाले हैं. घायल की पहचान चुनचुन ऋषि देव के तौर पर हुई है. मारे गए 2 मजदूरों का नाम राजा ऋषि देव और जोगिंदर ऋषि देव है.
मृतकों में से एक शख्स बिहार के अररिया का रहने वाला था. अपने लाडले की मौत की खबर मिलने के बाद से ही पूरा परिवार गमजदा है, दुख में डूबा है. आतंकी पहले सेना या पुलिस पार्टी पर छिप कर हमला करते थे. लेकिन उन्हें ये बात अच्छी तरह मालूम है कि सुरक्षाबलों से सामना करने का मतलब मौत है इसीलिए अब वो आम नागरिकों को निशाना बना रहे हैं. चार मौत बीते दो दिनों में हुई है. कुलगाम में दो मजूदरों की हत्या से एक दिन पहले यानि शनिवार को ही आतंकियों ने पुलवामा और श्रीनगर में हमलों को अंजाम दिया था. इन हमलों में भी दो मजदूरों की मौके पर ही मौत हो गई थी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से बात की और बिहार के मजदूरों की सुरक्षा पुख्ता करने की अपील की. बिहार सरकार ने मृतकों के लिए मुआवजे का ऐलान किया है.
कुलगाम आतंकी हमले के बीच खबर ये भी वायरल हुई कि सभी प्रवासी मजदूरों को पुलिस और सेना के कैंपों मे शिफ्ट किया जायेगा. हालांकि बाद में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इस खबर को अफवाह बताया. कश्मीर जोन पुलिस ने ट्वीट किया कि मजदूरों को पुलिस/सेना शिविरों में स्थानांतरित करने के लिए जिला पुलिस अधिकारियों को आदेश देना फर्जी है. मजदूरों की हत्या के मुद्दे ने सियासी बहस की बुनियाद भी डाल दी है. पहले उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जैसे घाटी के पहली कतार के नेता लगातार हमलों के लिए केंद्र सरकार को घेर रहे थे. लेकिन अब जम्मू-कश्मीर के पूर्व डिप्टी सीएम ने महबूबा मुफ्ती पर आतंकियों को उकसाने का आरोप लगा दिया है.
कश्मीर के लोकल नेता और विशेषकर महबूबा मुफ्ती इस तरह की माहौल के लिए जिम्मेदार हैं क्योंकि वो बयान दिए जा रही थी कि कश्मीर में मुस्लिमों के साथ भेदभाव हो रहा है. मुस्लिमों को मस्जिद और अजान के लिए नहीं जाने दिया जा रहा. उन्होंने यह भी बयान दिया था कि कश्मीर में डेमोग्राफीक चेंज हो रहा है. उनके इस तरह के बयान भी आज के माहौल के लिए जिम्मेदार हैं. अलग-अलग आतंकी हमलों में इस महीने 12 नागरिकों की जान गई है. हालांकि सुरक्षाबलों ने नागरिकों पर हमला करने वाले तीन आतंकियों को मार गिराया है. दो की पहचान हो चुकी है और पुलिस ने दावा किया है कि उनका भी नंबर जल्दी ही आएगा. अक्टूबर का महीना काउंटर टेरेरिज्म ऑपरेशन के लिहाज से बेहद अहम रहा है. शुरुआती 16 दिनों में 13 एनकाउंटर हुए हैं. जिसमें 14 आतंकी ढेर हुए हैं. इसी वजह से आतंकी बौखला गए हैं और निहत्थे लोगों पर गुस्सा निकाल रहे हैं…लेकिन सुरक्षाबलों ने साफ कर दिया है कि आतंकियों के इस पैंतरे के दिन भी जल्दी ही लदने वाले हैं.