भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) 2024 में अंतरिक्ष के लिए देश की पहली मानवयुक्त उड़ान ‘गगनयान’ (Gaganyaan) के लिए अपने रोडमैप के हिस्से के रूप में अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, आगामी सितंबर और फिर दिसंबर में दो मानवरहित ‘निरस्त अभियान’ यानी ‘एबोर्ट मिशन’ (Abort Mission) का संचालन करेगा. इसरो अपने इन दोनों ‘एबोर्ट मिशन’ के जरिए ‘विफलता का अनुकरण’ करेगा. यानी मिशन के विफल होने पर अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा कैसे करनी है, उसकी तैयारी के लिए इसरो 2 बार अभ्यास करेगा. इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने इस बारे में जानकारी दी.
एस सोमनाथ, जो इसरो चीफ होने के साथ ही अंतरिक्ष विभाग के सचिव भी हैं, ने कहा, ‘मानव सुरक्षा हमारी पहली प्राथमिकता है। इसलिए, अब हम निरस्त मिशनों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं- जो विफलताओं का अनुकरण कर रहे हैं और उन परिस्थितियों में क्रू को सुरक्षित कैसे रखें, इसका अभ्यास कर रहे हैं. इस उद्देश्य के लिए पहला टेस्ट व्हीकल तैयार है और हम इसे इस साल सितंबर में लॉन्च करेंगे. मानव कैप्सूल को 15 किलोमीटर ऊपर भेजा जाएगा, हम एक निरस्त मिशन का अनुकरण करेंगे और फिर कैप्सूल को पैराशूट द्वारा समुद्र में सुरक्षित रूप से नीचे लाया जाएगा. दूसरा टेस्ट व्हीकल इस साल दिसंबर में लॉन्च किया जाएगा. इसे और अधिक ऊंचाई पर भेजा जाएगा, फिर इसी तरह के अनुकरण के बाद वापस लाया जाएगा.’
मिशन की सुरक्षा को लेकर पूरी तरह सुनिश्चित होना चाहता है इसरो
एस सोमनाथ ने कहा, ‘हम जानबूझकर मानवयुक्त मिशन में देरी कर रहे हैं क्योंकि यह एक बहुत ही खतरनाक मिशन है. यदि यह सफल नहीं होता है, तो पूरे प्रोजेक्ट को बंद भी करना पड़ सकता है. इसलिए, हमें बेहद सटीक और पूरी तरह से सुनिश्चित होना होगा. क्योंकि एक असफल मिशन का सिस्टम के साथ-साथ इसरो पर भी बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा.’ इसरो प्रमुख ने बताया कि गगनयान मिशन का मुख्य उद्देश्य भारत की क्षमता का प्रदर्शन करना है, लेकिन यह भविष्य में भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की ओर पहला कदम भी है.
उन्होंने कहा, ‘आने वाले दशकों में अधिक से अधिक मानव गतिविधि अंतरिक्ष में स्थानांतरित होने की संभावना है. उदाहरण के लिए, अंगों की 3 डी प्रिंटिंग सबसे बड़े क्षेत्रों में से एक के रूप में उभर रही है जो भविष्य में अंतरिक्ष में स्थानांतरित हो जाएगी. क्योंकि शून्य-गुरुत्वाकर्षण अंगों के बढ़ने के लिए एकदम सही स्थिति है.’ पिछले हफ्ते, इसरो ने गगनयान के पहले चरण के हिस्से के रूप में श्रीहरिकोटा में एचएस 200 रॉकेट बूस्टर का प्रक्षेपण किया था. HS200 बूस्टर, जो 3.2 मीटर व्यास के साथ 20 मीटर लंबा था, 203 टन ठोस प्रणोदक के साथ लोड किया गया था और 135-सेकंड की अवधि के लिए इसका परीक्षण किया गया.
कोरोना महामारी के कारण भारत के ‘गगनयान मिशन’ में हुई देरी
गगनयान मिशन, जो 3 भारतीयों को लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में ले जाएगा, को महामारी के कारण आगे बढ़ाना पड़ गया था. भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने पर यह मिशन इस साल लॉन्च किया जाना था. इसरो के अनुसार, 9,023 करोड़ रुपये का गगनयान कार्यक्रम ‘लंबे समय में एक सतत भारतीय मानव अंतरिक्ष अन्वेषण कार्यक्रम की नींव रखेगा.’ इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा कि कोविड महामारी के कारण गगनयान मिशन पर विपरीत प्रभाव पड़ा है. विभिन्न प्रणालियों का उत्पादन प्रभावित हुआ और पुनः आरंभ करने में समय लगता है. हमने कोविड के कारण डेढ़ साल गंवाए हैं. महामारी के कारण यूरोप गंभीर रूप से प्रभावित हुआ और इस तरह उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो गई. हमें इन देशों से इलेक्ट्रॉनिक्स और कंप्यूटर चिप्स सहित कई अन्य चीजें हासिल करनी थी. कोविड के कारण खर्च पर भी प्रतिबंध था.