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भारत और चीन सीमा पर शांति बनाए रखने पर सहमत, विदेश सचिव से मिला चीन का प्रतिनिधि मंडल

अप्रैल-मई, 2020 में पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना की घुसपैठ से बनी स्थिति के समाधान के लिए दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों के नेतृत्व में होने वाली बैठकवर्किंग मेकानिज्म फार कंसलटेशन एंड कोआर्डिनेशन आन इंडिया-चाइना बार्डर इश्यू (डब्लूएमसीसी) का 32वीं बैठक गुरुवार को नई दिल्ली में संपन्न हुई।

पिछले साढ़े चार वर्षों से जारी तनाव को समाप्त करने के लिए भारत और चीन के बीच 21 अक्टूबर को अंतिम सहमति बनी है। इस पर पीएम नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति चिंगफिंग ने भी हरी झंडी दे दी है। उक्त सहमति के बाद डब्लूएमसीसी की यह पहली बैठक है, जिसमें सीमा विवाद से जुड़े अन्य मुद्दों पर बातचीत आगे बढ़ाई गई है। बैठक में भी अक्टूबर में बनी सहमति को लेकर बातचीत हुई और माहौल काफी सकारात्मक रहा है।

चीनी दल ने की विदेश सचिव से मुलाकात

विदेश मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि वार्ता के लिए नई दिल्ली आए चीनी दल ने विदेश सचिव से भी मुलाकात की है। दोनों देशों के बीच विशेष प्रतिनिधि स्तर की होने वाली वार्ता की तैयारियों पर भी चर्चा हुई है। गौरतलब है कि विशेष प्रतिनिधि स्तर की बातचीत का फैसला मोदी और चिनफिंग के बीच हुई बैठक में किया गया था। विशेष प्रतिनिधि स्तर की बातचीत में भारत का नेतृत्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल करते हैं।

इसका उद्देश्य सीमा विवाद का स्थाई समाधान निकालना है। गुरुवार की बैठक में भारतीय पक्ष का नेतृत्व संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) गौरंगलाल दास और चीनी पक्ष का नेतृत्व विदेश मंत्रालय में महानिदेशक होंग लियांग ने किया।

पीएम मोदी और भूटान नरेश ने की द्विपक्षीय बैठक

भारत और भूटान ने दोनों देशों के बीच उत्कृष्ट साझेदारी को सभी क्षेत्रों में और मजबूत करने का गुरुवार को संकल्प लिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक को हिमालयी राष्ट्र के आर्थिक विकास के लिए नई दिल्ली की सहयोग से अवगत कराया। वांगचुक दो दिवसीय यात्रा पर यहां पहुंचे और इसके तुरंत बाद उन्होंने तथा मोदी ने स्वच्छ ऊर्जा साझेदारी, व्यापार और निवेश, अंतरिक्ष और प्रौद्योगिकी सहित विविध क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग पर ध्यान केंद्रित करते हुए वार्ता की।

दोनों नेताओं ने ‘गेलेफू माइंडफुलनेस सिटी’ पहल पर विचारों का आदान-प्रदान किया, जो भूटान के विकास को गति देने और भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए वांगचुक द्वारा आगे बढ़ाई जा रही एक दूरदर्शी परियोजना है।