Breaking News

IIT के शोधकर्ता का कमाल: अब सड़क पर चलने से पैदा होगी बिजली, आइए जानते है कैसे?

आपने कभी ये सुना है क्या कि आपके चलने से सड़क बिजली पैदा करेगी. जी हां ये संभव है. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मंडी (IIT Mandi) के एक शोधकर्ता ने ऐसी सड़क बनाई है जो पैदल चलने से बिजली पैदा करती है. आइए जानते हैं कि आखिरकार आईआईटी के शोधकर्ता ने ऐसी कौन सी टेक्नोलॉजी का उपयोग किया, जिससे सड़क पर चलने से बिजली पैदा होने लगेगी… इस सड़क को बनाने वालो शोधकर्ताओं के लीडर डॉ. राहुल वैश ने बताया कि उन्होंने इस सड़क को बनाने के लिए पीजोइलेक्ट्रिक मटेरियल (Piezoelectric Material) का उपयोग किया है. यह एक खास तरह की वस्तु है जो मैकेनिकल एनर्जी से इलेक्ट्रिकल एनर्जी बनाती है. यानी सड़क पर पड़ने वाले दबाव, खिंचाव और घर्षण से जो मैकेनिकल ऊर्जा पैदा होगी, वह इलेक्ट्रिकल एनर्जी में बदल जाएगी.

इंडियाटाइम्स वेबसाइट की खबर के अनुसार डॉ. राहुल वैश ने कहा कि ऐसे मटेरियल को हर सड़क और गली में लगाना चाहिए. इससे बिजली की समस्या का सीधा, सहज और सरल समाधान हो सकता है. लेकिन अभी इस मटेरियल से बहुत कम बिजली पैदा हो रही है, इसलिए हमें इस मटेरियल की ताकत और मात्रा बढ़ानी होगी. डॉ. राहुल वैश और उनकी टीम ने पीजोइलेक्ट्रिक मटेरियल से बनने वाली सड़क में नई टेक्नोलॉजी का उपयोग करके उसकी क्षमता बढ़ा दी है. इस टेक्नोलॉजी का नाम है ग्रेडेड पोलिंग (Graded Polling). ग्रेडेड पोलिंग की वजह से पीजोइलेक्ट्रिक मटेरियल से बनी सड़क की बिजली पैदा करने की क्षमता 100 गुना ज्यादा हो जाएगी. यानी अगर सड़क 1 वॉट बिजली पैदा कर रही थी, तो वह 100 वॉट बिजली पैदा करेगी.

राहुल और उनकी टीम ने कई तकनीकों का उपयोग किया है. जैसे सड़क के मटेरियल का मुड़ना, दबना, खिंचना, घर्षण आदि. इन्हें कहते हैं मैकेनिकल दबाव. सड़क के नीचे और ऊपर की परत में पीजोइलेक्ट्रिक कैंटीलीवर बीम्स लगाए गए हैं. इन पर पड़ने वाले मैकेनिकल दबावों से जो ऊर्जा पैदा होती है, उसे यह इलेक्ट्रिक एनर्जी में बदल जाती है. IIT Mandi ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि इस स्टडी के परिणाम बेहद सकारात्मक हैं. बदलाव की संभावना हमेशा रहती है. ग्रेडेग पोलिंग तकनीक और पीजोइलेक्ट्रिक मटेरियल की मदद से जो सैंपल सड़क बनाई गई है, वह वाकई काम की है. इससे बिजली पैदा हो रही है. शोधकर्ताओं ने कहा कि अगर इस सड़क को लेकर बड़े पैमाने पर काम किया जाए तो ऊर्जा की बड़ी समस्या खत्म की जा सकती है. साथ ही यह भी पता चल जाएगा कि ऐसी सड़कें क्या वाकई में सामान्य स्थिति में चलेंगी. क्या इतना तापमान, बारिश, दबाव और घर्षण बर्दाश्त कर सकेंगी.