एक स्टडी में कहा गया है कि यदि कोविड-19 की तीसरी लहर आती है तो उसके दूसरी लहर की तरह गंभीर होने की आशंका नहीं है.
इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च (IJMR) में प्रकाशित गणितीय ‘मॉडलिंग’ विश्लेषण पर आधारित इस स्टडी में रेखांकित किया गया है कि वैक्सीनेशन के दायरे के विस्तार से कोरोना वायरस की तीसरी लहर को काफी हद तक कम किया जा सकता है. ‘भारत में कोविड -19 की तीसरी लहर की संभावना: एक गणितीय मॉडलिंग आधारित विश्लेषण’ शीर्षक वाली स्टडी शुक्रवार को पीयर-रिव्यू इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित हुई.
स्टडी में ऐसे परिदृश्य की चर्चा की गयी है, जिसमें 40 प्रतिशत आबादी ने दूसरी लहर के तीन महीनों के भीतर दोनों खुराक ले ली हैं. इसमें कहा गया है कि टीकाकरण का प्रभाव संक्रमण की गंभीरता को 60 प्रतिशत तक कम करने के लिए है. स्टडी के अनुसार इससे यह दिखता है कि संभावित तीसरी लहर के दौरान टीकाकरण गंभीरता को काफी हद तक कम कर सकता है. शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि अनुमान अनिश्चितताओं के अधीन हैं और टीकाकरण को बढ़ाना ‘कोरोना की गंभीरता को कम करने का’ एकमात्र तरीका हो सकता है.
ये लोग हैं स्टडी में शामिल
स्टडी में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के संदीप मंडल, बलराम भार्गव और समीरन पांडा तथा इंपीरियल कॉलेज लंदन के निमलन अरिनामिनपति शामिल हैं. तीसरी लहर के संबंध में चार परिकल्पनाओं पर विचार करते हुए स्टडी में कहा गया है, संक्रमण-आधारित प्रतिरक्षा क्षमता समय के साथ कम हो सकती है, पहले से संक्रमित हुए लोग पुन: संक्रमित हो सकते हैं, भले ही मौजूदा वायरस में बदलाव न हो. स्टडी में शोधकर्ताओं ने कोरोना ट्रांसमिशन के एक कंपार्टमेंटल मॉडल का इस्तेमाल करके COVID-19 की तीसरी लहर के चार संभावित तंत्रों की जांच की.