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दिल्ली चुनाव में केजरीवाल के खिलाफ चुनाव लड़ेगा उनका पुराना सहयोगी, अन्ना आंदोलन में रहे चुके साथी

दिल्ली (Delhi) में विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) में अभी चार महीने का वक्त बाकी है, लेकिन इसकी बिसात बिछनी शुरू हो गई है. पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के खिलाफ नई दिल्ली सीट (Delhi Seat) से उनके सहयोगी रह चुके डॉ. मुनीश कुमार रायजादा (Dr. Munish Kumar Raizada) ने चुनाव लड़ने का ऐलान किया है.

मुनीश पेशे से डॉक्टर हैं और अमेरिका से डॉक्टरी छोड़कर दिल्ली की सियासत में दांव आजमाने की तैयारी कर रहे हैं. मुनीश ने भी अरविंद केजरीवाल की तरह ही साल 2011 में हुए अन्ना आंदोलन से अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत की थी. हाल ही में मुनीश ने अपनी एक अलग पार्टी बनाने की घोषणा की है जिसका नाम उन्होंने भारतीय लिबरल पार्टी रखा है.

सोशल मीडिया पर मुनीश ने केजरीवाल के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान करते हुए आम आदमी पार्टी में फैले भ्रष्टाचार को आने वाले चुनावों का मुख्य मुद्दा बनाया.

वह कहते हैं कि मैं आम आदमी पार्टी की राजनीति को बखूबी समझता हूं. इसलिए मैंने अगले साल फरवरी में होने वाले चुनाव की तैयारी अभी से शुरू कर दी है. मेरी कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा वॉलेंटियर को अपने साथ जोड़ सकूं.

नई दिल्ली से विधायक हैं केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल लगातार तीन बार नई दिल्ली से विधायक चुने गए हैं. 2013 में तो केजरीवाल ने नई पार्टी होने के बावजूद तब की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को उनके गढ़ में ही शिकस्त दी थी.

2015 में भी उन्होंने शीला दीक्षित सरकार में मंत्री रही प्रोफेसर किरण वालिया को धूल चटाई, तब दूसरे नंबर पर बीजेपी की नूपुर शर्मा आईं थीं. 2020 में अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी के सुनील कुमार यादव को 31 हजार वोटों के बड़े अंतर से हराया था.

इस बार कांग्रेस और बीजेपी की ओर से अरविंद केजरीवाल के खिलाफ चुनाव कौन लड़ेगा इस पर दोनों पार्टियों की रणनीति फिलहाल तैयार नहीं है. लेकिन पूर्व सहयोगी मुनीश अपने भ्रष्टाचार विरोधी नैरेटिव से कितना खेल बिगाड़ेंगे इस पर चुनाव के करीब जाकर ही ज्यादा तस्वीर साफ होगी.

फरवरी में हो सकते हैं चुनाव
दिल्ली में अगले साल फरवरी में विधानसभा चुनाव हो सकते हैं. दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल 23 फरवरी 2025 को खत्म हो रहा है. दिल्ली में पिछले चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 70 में से 62 सीटें जीती थीं. वहीं, बीजेपी ने 8 सीटों पर जीत हासिल की थी. जबकि, कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत सकी थी.