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हरियाणा के अंशुल कम्बोज ने रणजी में रचा इतिहास

क्रिकेट में कीर्तिमान रचने वाले ऑलराउंडर खिलाड़ी अंशुल का जलवा बरकरार है। अंशुल के पिता उधम सिंह ने बताया कि अंशुल ने महज 11 साल की उम्र में अपने करियर की शुरुआत की थी। वह इंद्री हलके के फाजिलपुर गांव से 22 किलोमीटर की दूरी तय कर उन्हें कोचिंग दिलाने आते थे।

बेटे का संघर्ष व जुनून लाया रंग

पिता ने बताया कि अंशुल पर बचपन से ही क्रिकेट का जुनून हावी रहा। आखिरकार उनका संघर्ष व बेटे का जुनून रंग लाया और आज अंशुल कर्ण नगरी का चमकता सितारा बनकर उभरा है। इससे पहले तरावड़ी कस्बे के तेज गेंदबाज नवदीप सैनी भी भारतीय टीम में खेल चुके हैं। अंशुल ने रणजी ट्रॉफी के पांचवें राउंड में केरल के खिलाफ पहली पारी में 10 विकेट लिए। लगातार बेहतर प्रदर्शन की बदौलत अंशुल का भारतीय टीम में चयन होना तय है।

अंशुल के पिता उधम सिंह पेशे से किसान हैं। वह लगातार तीन साल तक अंशुल को मोटरसाइकिल पर करनाल लेकर आते थे। अंशुल ने शुरुआत से ही अपनी सेहत व शरीर की परवाह किए बिना जीतोड़ मेहनत की है। कोच सतीश ने बताया कि अंशुल शुरुआत से ही समय का पाबंद और क्रिकेट के प्रति उसका जनून बचपन से है। बहुत जल्द अंशुल भारतीय टीम में अपनी गेंदबाजी का जलवा दिखाएगा।

एक पारी में 10 विकेट लेने वाले हरियाणा के पहले खिलाड़ी बने अंशुल

रणजी ट्रॉफी की एक पारी में 10 विकेट लेकर अंशुल ने एक मैच में 10 विकेट लेने वाले हरियाणा के पहले खिलाड़ी बन गए है। इससे पहले हरियाणा के किसी भी खिलाड़ी ने किसी टूर्नामेंट के एक मैच में इतने विकेट नहीं लिए है। इमर्जिंग एशिया कप में अंशुल ने तीन मैचों में 10 की इकोनॉमी रेट से गेंदबाजी की और चार विकेट भी लिए। वहीं इस साल खेले दलीप ट्रॉफी में भी कंबोज ने शानदार प्रदर्शन किया था, वह टॉप विकेट टेकर रहे। उन्होंने इंडिया-सी की ओर खेलते हुए तीन मैचों में 3.19 की इकोनॉमी से गेंदबाजी की और 16 विकेट लिए। टूर्नामेंट में अपने दूसरे मैच में उन्होंने आठ विकेट लिए। इस तरह वह दलीप ट्रॉफी के एक मैच में 10 विकेट लेने वाले तीसरे तेज गेंदबाज बन गए है।