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विदेश से MBBS करने वाले डॉक्टरों को हरियाणा मेडिकल काउंसिल का झटका, अब करनी होगी इंटर्नशिप

हरियाणा क़े जो छात्र विदेशों से MBBS की पढ़ाई करके लौटते है उनके लिए आज हम एक बड़ी खबर लेकर आए है. आपको बता दें कि विदेशों से MBBS की पढ़ाई करके लौटे हरियाणा के छात्रों को अब दो से तीन साल की इंटर्नशिप करने के बाद ही डॉक्टर का दर्जा मिल पायेगा. हरियाणा सरकार ने नैशनल मेडिकल कमिशन (NMC) के आदेशों को सोमवार से राज्य में लागू कर दिया है.

MBBS Doctor

विभिन्न राज्यों से छात्र एमबीबीएस करने जाते है विदेश

हरियाणा मेडिकल काउंसिल ने जो आदेश जारी किया है उसके मुताबिक, बिना दो से तीन साल की इंटर्नशिप के विदेश से MBBS की पढ़ाई कर लौटे छात्रों को डॉक्टर नहीं माना जाएगा. हरियाणा में मेडिकल की पढ़ाई काफ़ी ज्यादा महंगी है और इसे लेकर पिछले दिनों राज्य में बड़ा आंदोलन भी हो चुका है.

ऐसे में हरियाणा समेत देश के विभिन्न राज्यों से छात्र एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए विदेश जाते है जिनमें रूस, चीन, यूक्रेन, किर्गिस्तान, फिलीपींस, जार्जिया और इस्राइल शामिल है. इन देशों में पौने 3 लाख से 18 लाख रुपये तक में एमबीबीएस की पढ़ाई हो जाती है, जबकि हरियाणा में यह ख़र्च औसत 15 से 20 लाख रुपये वार्षिक है.

नेशनल मेडिकल कमिशन ने जारी किया पब्लिक नोटिस

भारत में पढ़ने वाले इंडियन मेडिकल ग्रेजुएट्स (IMG) को फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन (FMGE) की परीक्षा नहीं देनी होती. इसके साथ ही उनकी इंटर्नशिप की अवधि मात्र एक साल की होती है. भारत के बाहर से एमबीबीएस कर लौटे छात्रों को फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स कहा जाता है. उन्हें लेकर नेशनल मेडिकल कमिशन ने सार्वजनिक नोटिस जारी कर दिया है. नोटिस क़े अनुसार, कई फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स गलत तरीके से ऑनलाइन कक्षाओं के लिए अपने मूल विश्वविद्यालयों से कंपनसेटरी सर्टिफिकेट ले रहे हैं.

यह प्रोफेशन बहुमूल्य मानव जीवन से जुड़ा है, इसलिए उनके जीवन को कम दक्ष लोगों के हाथों में दांव पर नहीं लगाया जा सकता. ऐसे में अंडर ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड (UGMEB) ने निर्णय लिया है कि अब से ऑफलाइन प्रैक्टिक्लस या क्लीनिकल ट्रेनिंग क़े स्थान पर ऑनलाइन क्लासेज करके प्राप्त किए गए सर्टिफिकेट को माना नहीं जाएगा. नेशनल मेडिकल कमिशन की तर्ज पर ऐसे ही आदेश अब हरियाणा मेडिकल काउंसिल ने जारी किए हैं.

पास करनी होती है FMGE परीक्षा

इसमें बताया गया है कि जिन फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स ने अपने पाठ्यक्रम पूरा करने के दौरान किसी भी अवधि के लिए अपनी क्लास में ऑनलाइन भाग लिया है, उन्हें एफएमजी परीक्षा पास करने और उसके बाद दो से तीन साल की अवधि के लिए अनिवार्य रोटेटिंग मेडिकल इंटर्नशिप से गुजरना अनिवार्य होगा. विदेश से एमबीबीएस की पढ़ाई करक़े आने वाले छात्रों को भारत में मेडिकल प्रैक्टिस करने के लिए नैशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन इन मेडिकल सर्विसेज क़े द्वारा आयोजित फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन यानी (FMGE) को पास करना होता है.

इस स्क्रीनिंग परीक्षा को पास करने के बाद ही उन्हें प्रोविजनल मेडिकल रजिस्ट्रेशन दिया जाता है. इसके बाद इंटर्नशिप की बारी आती है जो कि पहले एक साल की होती थी, जिसे अब दो से तीन साल कर दिया गया है. इस इंटर्नशिपको करने क़े बाद ही उन्हें डॉक्टर का दर्जा मिलेगा.