आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए EWS कोटा को कानूनी मान्यता मिलने के बाद मराठा आरक्षण की लड़ाई भी तेज हो गई है। जानकारी के मुताबिक, महाराष्ट्र सरकार ने मराठा आरक्षण की कानूनी लड़ाई के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख करने का फैसला किया है। इसके तहत सुप्रीम कोर्ट से जून 2021 की समीक्षा याचिका पर सुनवाई की मांग की गई है।
याचिका के तहत कहा गया है कि मराठा समुदाय वास्तव में पिछड़ा हुआ है और यह इस प्रकार के आरक्षण का पात्र है। बता दें, यह समीक्षा याचिका 2018 में गायकवाड़ आयोग की रिपोर्ट पर आधारित है। बीते सप्ताह सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने नौकरियों और शिक्षा में 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस कोटा को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा को पार करने की अनुमति देता है।
फडणवीस ने दिए थे संकेत
ईडब्ल्यूएस कोटा पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने मराठा आरक्षण को लेकर संकेत दिए थे। उन्होंने कहा था कि हम राज्य में मराठा आरक्षण देने की तैयारी कर रहे हैं। तब तक पात्र लोग इस 10 फीसदी ईडब्ल्यू कोटे का लाभ ले सकते हैं।
कैबिनेट उप समिति ने की बैठक
जानकारी के मुताबिक, महाराष्ट्र सरकार में शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल की अध्यक्षता वाली कैबिनेट उप-समिति की पिछले सप्ताह बैठक हुई थी। इस दौरान मराठा आरक्षण को लेकर कानूनी विशेषज्ञों की राय ली गई। बैठक में गायकवाड़ आयोग के सदस्यों के साथ ही साथ न्यायमूर्ति भोसले समिति के सदस्यों ने भी भाग लिया था।