देश के मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा (Chief Election Commissioner Sushil Chandra) के नेतृत्व में चुनाव आयोग की बैठक में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में होने वाले विधानसभा चुनाव पर चर्चा हुई. बैठक में सभी राज्यों के मुख्य चुनाव आयुक्तों ने आगामी चुनावों से संबंधित व्यवस्थाओं, सुरक्षा बलों कि जरूरतों और सबसे अहम कोरोना से संबंधित नियमों के अनुपालन के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर अपने सुझाव दिए.
कोरोना की तीसरी लहर कि आशंका के बीच उत्तर प्रदेश, गोवा, मणिपुर, पंजाब और उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव तय समय पर कराए जाने की पूरी उम्मीद है. हाल ही में मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने कहा था कि महामारी के दौरान पश्चिम बंगाल समेत चार राज्यों के चुनाव और इससे पहले हुए बिहार विधानसभा चुनावों से चुनाव आयोग ने काफी कुछ सीखा है. लिहाजा जिस तरह से कोरोना की दूसरी लहर कमजोर हो रही है. इसके जल्द समाप्त होने की भी उन्हें पूरी उम्मीद है.
विधानसभाओं का कार्यकाल खत्म होने से पहले कराए जाएंगे चुनाव
मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने कहा कि अगले साल होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव तय समय के अनुसार होंगे, क्योंकि चुनाव आयोग को महामारी में चुनाव कराने का व्यापक अनुभव है. ऐसे में आज की बैठक में पांचों राज्यों में विधानसभा चुनाव समय से कराना आयोग का प्राथमिक मुद्दा है. चुनाव आयोग चाहता है कि विधानसभाओं का कार्यकाल समाप्त होने से पहले वहां नई विधानसभा के गठन के लिए विजयी उम्मीदवारों की सूची राज्यों के राज्यपालों को सौंपे.
मणिपुर, गोवा, उत्तराखंड का कार्यकाल 18 मार्च और पंजाब विधानसभा का कार्यकाल 25 मार्च में समाप्त हो रहा है, जबकि उत्तर प्रदेश विधानसभा का कार्यकाल 27 मई को समाप्त हो रहा है. ऐसे में आयोग की जिम्मेदारी इन राज्यों में इससे पहले चुनाव प्रक्रिया को अंजाम देने की है.
पांच राज्यों में कुल 17.84 करोड़ मतदाता करेंगे मताधिकार का प्रयोग
आयोग के आकड़ों के मुताबिक, देश का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य उत्तर प्रदेश है. यहां विधानसभा की 404 सीटों के लिए 14.66 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. पंजाब विधानसभा की 117 सीटें हैं और यहां दो करोड़ से ज्यादा मतदाता है. उत्तराखंड में 71 विधानसभा सीटों में 70 सीटों पर मतदान होता है, यहां 78.15 लाख मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. गोवा में 40 सीटें और 11.45 लाख मतदाता है, जबकि मणिपुर में 19.58 लाख मतदाता और विधानसभा की 60 सीटों के लिए मतदान होगा. इन पांच राज्यों में कुल 17.84 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करके विजयी उम्मीदवारों का चयन करेंगे.
कोरोना वायरस के बीच पहले भी चुनाव करा चुका है चुनाव आयोग
चुनाव आयोग ने पहले बिहार और बाद में पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम और केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी के विधानसभा चुनावों के दौरान कड़े कोरोना प्रोटोकॉल बनाए थे. इसमें प्रचार करने के लिए केवल पांच लोगों को अनुमति, नामांकन की कड़ी प्रक्रिया के साथ पश्चिम बंगाल के चुनाव में महामारी के बढ़ने की आशंका के चलते पहले रैलियों में केवल 500 लोगों के शामिल होने और बाद में सार्वजनिक सभाओं पर भी रोक लगा दी थी. इसके अलावा मतगणना के दिन सभी के लिए कोरोना की आरटी-पीसीआर रिपोर्ट को अनिवार्य कर दिया गया था. विजयी जुलूस निकालने पर भी रोक लगा दी थी. इसके अलावा बुजुर्गों और दिव्यांगों को पोस्टल बैलेट की सुविधा के साथ कोरोना संक्रमितों के लिए अलग से मतदान की व्यवस्था की गई थी.