Breaking News

रेस्तरां में नाच-गाने की आड़ में गंदा काम, काम का झांसा देकर नाबालिग लड़कियों से कराते हैं देह व्यापार

नटवार थाना क्षेत्र से हाल ही में नाच पार्टी (Dancing Party) और ऑर्केस्ट्रा संचालकों के ठिकानों से मुक्त कराई गईं छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की 44 नाबालिग लड़कियों (minor girls) की आपबीती सभ्य समाज में मध्ययुगीन बर्बरता की कहानी है। तब सरेआम बाजार में गुलामों की खरीद-फरोख्त होती थी, आज संगठित गिरोह गरीब परिवार की नाबालिग लड़कियों के स्वजन को झांसा देकर चोरी छिपे वही काम कर रहा है।

रेस्तरां में काम दिलाने के बहाने नाबालिग बेटियां मात्र 50 हजार में गुलाम बना ली जा रही हैं, दलाल उन्हें नाच पार्टी को सौंप देते हैं, जहां नाच-गाने की आड़ में देह व्यापार कराया जाता है। बेटियां जुबान न खोलें, इसके लिए यातना भी दी जाती है।

गरीब और बेबस माता-पिता की चुप्पी के लिए वर्ष में एक दो बार मोटी रकम भी भेज दी जाती थी। अपने घर से सैकड़ों किमी दूर क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति और लोगों के नाम और पते से अनजान ये बेटियां विवश हैं, इनके सपने मर चुके हैं।

इन बेटियों ने बाल कल्याण समिति के सामने आपबीती सुनाई तो सारे सदस्य हतप्रभ रह गए। अब उम्मीद है कि मानव तस्करी में लिप्त गिरोह और नाच पार्टी संचालकों को पुलिस और समिति कोर्ट के माध्यम से कड़ी सजा दिलाएगी, ताकि दोबारा कोई ऐसी बर्बरता की हिम्मत नहीं कर सके।

आवश्यकता, मुक्त कराई गईं बेटियों के पुनर्वास एवं उन्हें शिक्षित, प्रशिक्षित करने की भी है, ताकि वे फिर से अपने भविष्य के सपने बुन सकें।

गरीबी और अशिक्षा के बीच जन्मीं बेटियों पर दलालों की गिद्ध दृष्टि
गरीबी और अशिक्षा के बीच जन्मीं बेटियों पर मानव तस्करों की गिद्ध दृष्टि होती है। इनका गिरोह झारखंड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, मध्यप्रदेश से लेकर बिहार के कई जिलों तक फैला है।
ये तस्कर पहले बेटियों के मजबूर मां-बाप के रिश्तेदारों तक पहुंच बनाते हैं और उन्हें लालच देकर मध्यस्थ बना लेते हैं, फिर बेटियों का भविष्य बनाने के नाम पर उनका सौदा कर लेते हैं।
फिर रोहतास जिले के बिक्रमगंज, दावथ, दिनारा, नटवार में पुरानी नर्तकियों के ठिकानों पर लाकर छोड़ जाते हैं।

दो वर्ष पहले भी मुक्त कराई गईं थी नौ बच्चियां
दो वर्ष पूर्व भी बिक्रमगंज से मुक्त कराई गईं नौ बच्चियों में अधिकांश छत्तीसगढ़ की ही थी। तब बच्चियों ने बताया था कि वहां से सासाराम और डेहरी के रेस्तरां में काम करने के लिए आठ हजार रुपये वेतन तथा खाने और रहने की व्यवस्था कहकर उन्हें लाया जाता है।

यहां लाकर उन्हें नाच पार्टी या ऑर्केस्ट्रा संचालकों के यहां कम से कम 50 हजार से 2 लाख रुपये लेकर बेच दिया जाता है। इनसे यहां देह व्यापार कराया जाता है।

नाबालिग बेटियों से अमानवीय कृत्य कराने के लिए एक संगठित रैकेट काम कर रहा है। कई राज्यों में उसका नेटवर्क फैला है। समिति बेटियों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाकर इस नेटवर्क में शामिल लोगों को कठोर सजा दिलवाएगी।
– संतोष उपाध्याय, सदस्य, बाल कल्याण समिति सदस्य