जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने की कवायद में अधिकतर वस्तुओं की दरें कम हो सकती है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले सप्ताह एक कार्यक्रम में साफ संकेत दिया था कि अब अगली बारी जीएसटी दरों में कटौती की है। यह कटौती पूर्ण रूप से राज्यों की सहमति पर निर्भर करेगा।
पिछले दो साल से मंत्रियों के समूह इस दिशा में काम कर रहे हैं, लेकिन जीएसटी काउंसिल की पिछली तीन बैठकों से इस मुद्दे पर कोई विचार नहीं किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक चालू संसद सत्र के समाप्त होने के बाद अप्रैल के आखिर या मई के पहले सप्ताह में जीएसटी काउंसिल की बैठक बुलाई जा सकती है, जिसमें जीएसटी की दरों को कम करने को लेकर चर्चाएं होंगी।
विरोध के कारण कम नहीं की जा सकीं जीएसटी की दरें
जीएसटी की दरों को कम करने के मसले पर राज्य कितने सहमत होंगे, इस बात को लेकर संशय है। काउंसिल की बैठक में राज्यों के विरोध की वजह से अब तक हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर जीएसटी दरें कम नहीं की जा सकी है।
जीएसटी की कीमतें कम होने पर इकोनॉमी को मिलेगी गति
जानकारों का कहना है कि वैश्विक चुनौतियों की वर्तमान परिस्थिति में जीएसटी की दरें कम करने से अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। डेलायट में टैक्स पार्टनर एम.एस. मनी के मुताबिक जिन वस्तुओं पर दरें कम होंगी, वे सस्ती हो जाएंगी और उनकी खपत बढ़ जाएंगी।
खपत बढ़ने से उन वस्तुओं का उत्पादन बढ़ेगा और इससे रोजगार भी निकलेंगे। पहले की तुलना में अधिक खपत से टैक्स कलेक्शन भी बढ़ सकता है। टैक्स कलेक्शन भी प्रभावित नहीं होगा
मतलब जीएसटी दरें कम करने से टैक्स कलेक्शन भी प्रभावित नहीं होगा। जीएसटी की दरों को तर्कसंगत बनाने के दौरान कोई भी उद्यमी नहीं चाहेगा कि जिन वस्तुओं की वह बिक्री करता है, उन पर दरें बढ़ें। दरें बढ़ने पर वह वस्तु महंगी हो जाएगी और बिक्री प्रभावित होगी।
लगातार बढ़ रहा जीएसटी कलेक्शन
हर उद्यमी चाहेंगे कि उनसे जुड़ी वस्तुओं की दरों में बढ़ोतरी नहीं हो। अभी कई ऐसी वस्तुएं हैं जिनके कच्चे माल और अंतिम उत्पाद पर जीएसटी की दरों में अंतर है। इससे तार्किक बनाया जा सकता है। जानकारों के मुताबिक जीएसटी की दरों को कम करना अब इसलिए भी मुश्किल नहीं है क्योंकि जीएसटी का कलेक्शन लगातार बढ़ रहा है।
तंबाकू के लिए 35 फीसदी का नया जीएसटी स्लैब लाया जाएगा
एक चर्चा यह भी चल रही है कि तंबाकू व अन्य नुकसानदेह उत्पादों के लिए 35 प्रतिशत का नया जीएसटी स्लैब लाया जाएगा। विशेषज्ञों का कहना है कि नए स्लैब के लिए जीएसटी कानून में संशोधन करना होगा और इसके लिए संसद की मंजूरी लेनी पड़ सकती है। तर्कसंगत बनाने के दौरान रोटी पर पांच प्रतिशत और पराठे पर 12 प्रतिशत जीएसटी जैसे विवादित मसलों का भी हल निकालना होगा।