उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य के विभाजन को संभावना से साफ इंकार कर दिया है। उन्होने प्रदेश के विभाजन की चर्चा को पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित बताया। 23 जून को को इंडियन एक्सप्रेस एक कार्यक्रम में उन्होने कहा, “हम एकजुटता में भरोसा रखते हैं, विभाजन में नहीं”।
दरअसल मीडिया खबरों में दावा किया गया था कि प्रदेश को उत्तर प्रदेश मेनलैंड, बुंदेलखंड और पूर्वांचल राज्यों में बांटा जा सकता है। इसके पहले उत्तर प्रदेश 2000 में विभाजित किया गया था, तब उत्तराखंड अलग राज्य बना था। जिसके बाद भी राज्य के विभाजन की मांग होती आई है।
यूपी की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले यूपी के बँटवारे की मांग उठाई थी। उन्होने यूपी को चार भागों अवध, बुंदेलखंड, पूर्वांचल और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बांटने की मांग की थी।
हालांकि तब केंद्र की यूपीए सरकार में गृह सचिव रहे आरके सिंह ने स्पष्टीकरण मांगते हुए इस प्रस्ताव को वापस भेज दिया था। रालोद अध्यक्ष अजित सिंह भी यूपी के अलग हिस्से करने की मांग करते रहे हैं।
दरअसल क्षेत्रफल की दृष्टि से यूपी देश का सबसे बड़ा राज्य है। ऐसे में प्रशासनिक कार्यों को आसान बनाने के लिए राज्य के बँटवारे की मांग की जाती रही है।