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चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर यात्रियों की जांच; PGI में मरीजों को भर्ती से लेकर इलाज की तैयारी पूरी

दुनिया भर में मंकी पॉक्स के बढ़ते मामलों के देखते हुए देश के सभी एयरपोर्ट पर सतर्कता बढ़ा दी गई है। केंद्रीय स्वास्थ मंत्रालय ने अधिकारियों को बाहर से आने वाले यात्रियों में मंकी पॉक्स के लक्षणों को लेकर सतर्क रहने को कहा है। इसे देखते हुए शहीद भगत सिंह इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर भी यात्रियों की जांच शुरू कर दी गई है।

वहीं, मंकी पॉक्स को देखते पीजीआई चंडीगढ़ में भर्ती से लेकर इलाज तक की व्यवस्था पूरी कर ली गई है। पीजीआई प्रशासन के अनुसार संक्रमण से बचाव के लिए व्यक्तिगत स्तर पर जागरूक व सचेत रहने की जरूरत है। इस मर्ज से डरने की जरूरत नहीं है।

वहीं, मंकी पॉक्स त्वचा संबंधी संक्रमण होने के कारण त्वचा रोग विभाग के विशेषज्ञों को संदिग्ध मामलों की जांच और प्रबंधन का नेतृत्व सौंपा गया है। किसी भी रोगी में मंकी पॉक्स के लक्षण का संदेह होने पर उसे जांच और आवश्यक परीक्षण के लिए संस्थान के त्वचा विज्ञान विंग में भेजा जाएगा। सैंपल प्रोसेसिंग और सैंपल की रिपोर्टिंग के लिए वायरोलॉजी विभाग को जिम्मेदारी दी गई है। इसमें भी आरटीपीसीआर टेस्ट होता है लेकिन सैंपल लेने का तरीका अलग होता है। कोविड में मरीज के नाक या गले का स्वैब लेते हैं लेकिन इसमें मरीज के शरीर में बने रैशेज के अंदर का पानी निकालते हैं और उसकी जांच की जाती है।

ये हैं मंकी पॉक्स के लक्षण
एमपॉक्स एक वायरल संक्रमण है, जो मवाद से भरे घावों और फ्लू जैसे लक्षणों का कारण बनता है। इसका शुरुआती लक्षण बुखार है। इसके बाद सिरदर्द, सूजन, पीठ दर्द और मांसपेशियों में दर्द जैसे लक्षण भी दिख सकते हैं। बुखार उतरने के बाद शरीर पर चकत्ते आ जाते हैं। इनमें अधिक खुजली या दर्द हो सकता है। संक्रमण आम तौर पर अपने आप ठीक हो जाता है और 14 से 21 दिनों के बीच रहता है। गंभीर मामलों में घाव पूरे शरीर पर हो जाते हैं, जो मुंह, आंखों और गुप्तांगों पर होते हैं।

ऐसे फैलता है मंकी पॉक्स
मंकी पॉक्स किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है। इसमें यौन संबंध और संक्रमित व्यक्ति से करीब से बात करना शामिल है। यह शरीर में आंख, सांस, नाक या मुंह से भी एंट्री कर सकता है। मंकी पॉक्स संक्रमित व्यक्ति की इस्तेमाल की गई चीजों को छूने से भी फैल सकता है। जैसे बिस्तर और बर्तन आदि। यह वायरस संक्रमित जानवर जैसे बंदर, चूहे और गिलहरी से भी फैल सकता है।

ऐसे करें बचाव
इस वायरस से बचाव के लिए संक्रमित व्यक्ति में लक्षणों की पहचान करना जरूरी है।
संक्रमित इंसान से दूर रहें। कोरोना काल की तरह इस परेशानी से बचने के लिए भी आप साफ-सफाई का ध्यान रखें और लोगों से दूरी बनाकर रखें। बार-बार हाथ वॉश करें।
संक्रमित इंसान से दूर रहें। शारीरिक संबंध बनाने से परहेज करें। सही होने के बाद भी कुछ दिनों तक सुरक्षित शारीरिक संबंध बनाएं।
इस बीमारी से बचाव के लिए वैक्सीन लगवाएं।