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स्वास्थ्य विभाग का मजाक उड़ाते तथा उत्तर प्रदेश सरकार को मुंह चिढ़ाते झोलाछाप डॉक्टर

रिपोर्ट -डॉ अंशुमान सिंह गुड्डू-अयोध्या जिले की रुदौली तहसील क्षेत्र में वर्षों से अप्रशिक्षित चिकित्सकों का धंधा फल फूल रहा है। किंतु स्वास्थ्य विभाग ने कभी इन चिकित्सकों पर किसी प्रकार की कार्रवाई की जहमत नहीं उठाई।बल्कि स्वास्थ्य विभाग के सरकारी अस्पतालों की नाक के नीचे ही इन गैर पंजीकृत चिकित्सकों की चांदी कट रही है। यूं तो तहसील क्षेत्र का कोई गांव अथवा चौराहा नहीं है जहां अनाधिकृत चिकित्सक दो चार की संख्या में मौजूद न हों।

ये चिकित्सक जनता को अक्सर नुकसान पहुंचाते हैं किन्तु जनता इन चिकित्सकों के विरुद्ध शिकायत नहीं जिसके दो कारण हैं पहला तो ये कि सरकारी चिकित्सक ड्यूटी से बेपरवाह बने रहते हैं और दूसरा सबसे बड़ा कारण यह है कि इन चिकित्सकों पर स्वास्थ्य शिकायतों के बाद भी कार्रवाई नहीं करता अब या तो विभाग इन झोलाछापों की पहुंच से डरता है या क्षेत्रिय स्वास्थ्य केन्द्रों पर तैनात सरकारी चिकित्सक मिलकर इन झोलाछापों को पाल रहे हैं।इन झोलाछापों पर शिकायत पर कार्रवाई न होना डेढ़ पूर्व से अबतक का ताजा उदाहरण देता हूं, एक शिक्षित चिकित्सक अपने क्षेत्र के झोलाछाप डॉक्टरों से परेशान है और पिछले वर्ष अप्रैल में सीएचसी मवई प्रभारी को पत्र लिखा कोई कार्रवाई नहीं हुई तो जनसूचना अधिकार के तहत सूचना मांगा तो साहब ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी अयोध्या से परमीशन लेनी की बात बताई और एक साल का समय बीत गया न ऊपर के साहब ने परमीशन दिया न नीचे वाले साहब ने कार्रवाई की।

इसके बाद गत जुलाई में मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अयोध्या से शिकायत की गई किंतु फिर भी कुछ नहीं हुआ। इससे पहले कोरोनावायरस काल फुल लॉकडाउन काल में एक चिकित्सक का बिना मास्क व दस्तानों के इलाज करते हुए 17/05/2020 को मुख्य चिकित्सा अधिकारी अयोध्या को तथा 18/05/2020 को वीडियो जरिए व्हाट्स्एप भेजा गया।जो सरासर नियमों का उल्लघंन था और आज भी है किंतु आज तक उक्त दोनों महान जिम्मेदारों ने उस चिकित्सक पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं कराई। इससे जिम्मेदारों की जिम्मेदारी निभाने वाली कथनी और करनी की पोल खुलती है।गत-08/09/2020को कानूनी प्रक्रिया से हताश चिकित्सक ने चार अवैध चिकित्सकों के विरुद्ध जनसुनवाई पोर्टल के माध्यम से प्रदेश के मुख्यमंत्री जी को पुनः शिकायत सौंपा है। फिलहाल यह तो पक्का है कि न मुख्यमंत्री जी यहां जांच एवं कार्रवाई करने आएंगे और न ही उनका कोई विशेष दूत ही आएगा।

जांच तो यही नाकारा,गैर जिम्मेदार लोग करेंगे जो वर्षों से सरकारी मलाई खा रहे हैं और जिम्मेदार ज्यादातर दूसरे दलों के हिमायती हैं इसलिए और भी काम नहीं करना चाहते। और इन मदारी बाज जिम्मेदारों के कारण ही सरकार की बदनामी होती है।इन बातों की ओर क्षेत्रिय सांसद और विधायक भी ध्यान नहीं देते यदि ये दोनों जनप्रतिनिधि ही ही चुस्त रहें तो जिम्मेदार अॉटोमैटिक चुस्त दुरुस्त रहेंगे लेकिन इनको विशेष जरूरत जनता से चुनाव के समय ही पड़ती है। इसलिए ये भी ज्यादा ध्यान नहीं देते।उधर विभागीय में तैनात लापरवाह साहब लोग समय समय पर माननीयों के दरबार में हां हुजूरी कर ही आते हैं तो जनता से क्या मतलब।