बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने गुरुवार को कहा कि जाति और संप्रदायवादी राजनीति में उलझी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और अन्य विपक्षी दलों के प्रति जनता का विश्वास डगमगा रहा है और ऐसे में जनहित और जनकल्याण जैसे मुद्दों को प्रखरता से उठाने वाली उनकी पार्टी के लिये आगामी विधानसभा उपचुनाव में भरपूर अवसर हैं।
विधानसभा उपचुनाव की तैयारियों की समीक्षा के लिये बुलायी गयी प्रदेश पदाधिकारियों और जिलाध्यक्षों की बैठक को संबोधित करते हुये उन्होने कहा कि भाजपा सरकार और विपक्षी पार्टियों के बीच जनहित व जनकल्याण के ज्वलन्त मुद्दों को लेने की बजाय केवल जातिवादी, साम्प्रदायिक व जाति-बिरादरी पर आधारित संकीर्ण राजनीति करने से इनके विरुद्ध जन विश्वास में कमी आयी है। ऐसे में बसपा को मुस्तैदी से अपनी पैठ जनता के बीच बनानी चाहिये जिसका लाभ उपचुनाव में मिलेगा।
उन्होंने कहा कि गरीबी, बेरोजगारी और महंगाई जैसी समस्या को दूर करने के लिए सरकार के दावों को अगर मान भी लिया जाए तो यह यूपी की विशाल आबादी के हिसाब से ऊँट के मुँह में ज़ीरा जैसा होगा। ऐसे में इनकी स्थिति सुधरने वाली नही है बल्कि सरकारी नौकरी में भी भारी बैकलाग व्याप्त है। बसपा सुप्रीमो ने कहा कि प्रदेश के करोड़ों ग़रीब,बेरोजगार, महिला, छोटे व्यापारी व अन्य मेहनतकश लोगों को राहत, सुविधा व सुरक्षा की घोर कमी है जबकि हर प्रकार की असुरक्षा, शोषण एवं उत्पीड़न ज्यादा है। अधिकतर मामलों में सरकारी वादे व दावे कोरे व कागजी है।
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकारों में द्वेषपूर्ण व विध्वंसक बुलडोजर राजनीति का उच्चतम न्यायालय द्वारा देर से ही सही मगर उचित संज्ञान लेने से लोगों में थोड़ी राहत है। मायावती ने कहा कि एक देश, एक चुनाव की व्यवस्था के तहत देश में लोकसभा, विधानसभा व स्थानीय निकाय का चुनाव एक साथ कराने वाले प्रस्ताव पर उनकी पार्टी का रुख सकारात्मक है लेकिन इसका उद्देश्य देश व जनहित में होना जरूरी है।
बसपा अध्यक्ष ने कहा कि उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में महिला असुरक्षा भी चिन्तित करने वाला बहुत बड़ा मुद्दा है, जिसको लेकर भी जातिवादी द्वेष व साम्प्रदायिक पक्षपात आदि की राजनीति और उसी के हिसाब से कानून का इस्तेमाल वास्तव में स्थिति को और भी अधिक गंभीर व तनावपूर्ण बना रहा है।
उन्होंने कहा कि एससी/एसटी व ओबीसी आरक्षण के प्रति संकीर्ण जातिवादी रवैया अपनाने का मामला है तो इसमें न तो भाजपा/एनडीए तथा ना ही कांग्रेस-सपा व इनका इण्डिया गठबंधन भी कोई एक-दूसरे से पीछे है, बल्कि दोनों का चाल, चरित्र व चेहरा पहले की तरह आज भी वही घोर आरक्षण-विरोधी बना हुआ है, भले ही वे पार्टियाँ इन वर्गों के वोट की खातिर अपना रंग गिरगिट की तरह बदलते रहते हैं, लेकिन इनके छलावा में अब और नहीं आना है।
मायावती ने कहा कि एससी, एसटी व ओबीसी आरक्षण को जो खतरा मंडरा रहा है वह वास्तव में मानवतावादी संविधान की कल्याणकारी सोच वाली व्यवस्था को खतरा है, जिसको लेकर खासकर भाजपा, कांग्रेस व सपा आदि की तरफ से रोज़ नई-नई चुनौतियाँ व चिन्ताएं पैदा करने का षडयंत्र जारी है। ऐसे में इन वर्गों को केवल अम्बेडकरवादी पार्टी बसपा व उसके आयरन नेतृत्व पर ही भरोसा करके आगे बढ़ा जा सकता है।
उन्होने कहा कि सोचने वाली बात यह है कि जिस प्रकार से कांग्रेस व भाजपा द्वारा एससी/एसटी वर्ग के आरक्षण को धीरे-धीरे निष्क्रिय व निष्प्रभावी बना दिया गया है व सरकार में उनके आरक्षित पदों को नहीं भरा जाता है, उसी प्रकार का षडयंत्र ओबीसी वर्गों के प्रति भी अपनाया जा रहा है, जिसको रोकने के प्रति संगठित प्रयास जरूरी है।
वैसे भी एससी/एसटी वर्ग से अलग-थलग रहकर करीब 52 प्रतिशत आबादी रखने वाले ओबीसी समाज के लोग पहले ही अपना काफी अहित कर चुके हैं, लेकिन अब ’जातीय जनगणना’ के मुद्दे पर पूरी तरह से गंभीर होने की जरूरत है और इस मामले में भाजपा व कांग्रेस की आरक्षण विरोधी चाल को सफल नहीं होने देना है। बसपा देश में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को लागू करने की तरह ही, राष्ट्रीय स्तर पर जातीय जनगणना करवाके उन्हें भी देश के शासन-प्रशासन में उचित व प्रभावी भागीदारी दिलाने को भी जमीनी हकीकत में जरूर बदलेगी।