भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के वरिष्ठ नेता शुभेंदु अधिकारी (leader subhendu adhikari)ने शुक्रवार को कहा कि छह अप्रैल को पश्चिम बंगाल (West Bengal)में रामनवमी (ram navami)की करीब 2,000 रैलियों का आयोजन होगा, जिसमें एक करोड़ से अधिक हिंदू शामिल होंगे। शुभेंदु अधिकारी ने पूर्व मेदिनीपुर जिले में अपने निर्वाचन क्षेत्र नंदीग्राम में एक कार्यक्रम में यह बात कही। उन्होंने रामनवमी की रैलियों के आयोजकों से रैली निकालने के लिए प्रशासन से अनुमति न लेने का आह्वान किया और कहा कि हमें भगवान राम की पूजा करने के लिए अनुमति की आवश्यकता नहीं है।
बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता ने कहा, ‘‘पिछले वर्ष रामनवमी की लगभग 1,000 रैलियों में लगभग 50,000 हिंदुओं ने भाग लिया था। इस वर्ष, कम से कम एक करोड़ हिंदू राज्य भर में सड़कों पर उतरेंगे और छह अप्रैल को 2,000 रैलियां निकालेंगे।’’ दरअसल, अगले साल बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए भाजपा रामनवमी के बहाने अभी से ही हिन्दू मतादाताओं के लामबंद करने की मुहिम में जुट गई है।
भगवान राम की पूजा के लिए इजाजत की दरकार नहीं
भाजपा नेता ने किसी समुदाय का नाम लिये बिना कहा, ‘‘रैलियां निकालने के लिए प्रशासन से कोई अनुमति न लें। हमें भगवान राम की पूजा करने के लिए अनुमति की आवश्यकता नहीं है। हम शांतिपूर्ण रहेंगे। लेकिन, यह सुनिश्चित करना प्रशासन का काम है कि दूसरे लोग भी शांतिपूर्ण तरीके से रहें। ’’ अधिकारी ने घोषणा की कि इस वर्ष के अंत तक उनके निर्वाचन क्षेत्र के सोनाचुरा में राम मंदिर का निर्माण किया जाएगा। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और विपक्षी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने शुभेंदु अधिकारी पर निशाना साधते हुए उन पर ‘विभाजन और धर्म’ की राजनीति में लिप्त होने का आरोप लगाया।
TMC- CPM खेमे में बेचैनी
दूसरी तरफ, पश्चिम बंगाल के मंत्री और टीएमसी के वरिष्ठ नेता फिरहाद हकीम ने कहा, ‘‘राज्य की जनता शुभेंदु अधिकारी जैसे भाजपा नेताओं की किसी भी बयानबाजी से प्रभावित नहीं होगी। हर किसी को अपने धार्मिक रीति-रिवाजों और त्योहारों को अपने तरीके से मनाने का अधिकार है।’’
उधर, माकपा नेता सुजान चक्रवर्ती ने कहा कि अधिकारी पश्चिम बंगाल में हिंदू धर्म के संरक्षक नहीं हैं। सुजान चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल में रामनवमी कभी भी हिंदुओं के लिए सामूहिक त्योहार नहीं रहा है। यह केवल भाजपा और टीएमसी ही हैं, जिन्होंने रामनवमी को राज्य में इतना बड़ा त्योहार बनाने का प्रयास किया। किसी भी व्यक्ति को यह तय करना होता है कि वह किसी त्योहार में भाग लेना चाहता है या नहीं। अधिकारी राज्य में हिंदू धर्म के संरक्षक नहीं हैं।’’