राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को स्टांप पेपर पर लड़कियों की नीलामी के मामले पर बोलते हुई अपनी सरकार का बचाव किया. इस दौरान उन्होंने बीजेपी सरकारों पर इसका ठीकरा फोड़ दिया. उन्होंने कहा कि यह घटना 2005 में हुई थी, जब भारतीय जनता पार्टी सत्ता में थी. अशोक गहलोत ने कहा कि 2019 में जब हम सत्ता में आए तो हमने इसका पर्दाफाश किया. इस मामले में 21 आरोपी गिरफ्तार किए गए, तीन की मौत हो गई और एक फरार है. दो बच्चों की मौत हो गई, बाकी अपने घरों को चले गए.
दरअसल शुक्रवार को इस मुद्दे पर बीजेपी ने गहलोत सरकार पर जमकर हमला किया. वहीं सीएम गहलोत ने कहा कि सभी आरोपियों को ट्रैक करके उचित जांच की जाएगी और किसी को भी नहीं बख्शा जाएगा.
जांच के लिए भेजेंगे टीम: सीएम गहलोत
वहीं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और राजस्थान राज्य महिला आयोग द्वारा रिपोर्ट मांगे जाने के बाद सीएम गहलोत ने कहा कि वह एनसीपीसीआर और एनसीडब्ल्यू की टीम जांच के लिए भेजेंगे.
प्रभावशाली लोग चला रहे रैकेट: मालीवाल
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने भी गहलोत को पत्र लिखकर जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने और ऐसी सभी गतिविधियों पर नकेल कसने के लिए सक्षम एजेंसियों को निर्देश देने की मांग की है. उन्होंने पत्र में इस बात का जिक्र किया कि यह रैकेट शायद प्रभावशाली लोगों द्वारा चलाया जा रहा है.
स्टांप पेपर पर खुलेआम नीलामी
आयोग ने एक मीडिया रिपोर्ट का संज्ञान लिया, जिसका शीर्षक था, राजस्थान: स्टाम्प पेपर पर बेची जाती हैं लड़कियां, नहीं बेंचने पर मां से दुष्कर्म. अखबार में खबर है कि प्रदेश के आधा दर्जन से ज्यादा जिलों में 8 साल से कम उम्र तक की लड़कियों की स्टांप पेपर पर खुलेआम नीलामी की जा रही है.
सरकारी अधिकारी और राजनेता शामिल
बता दें कि एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने भी शुक्रवार को कहा था कि भीलवाड़ा में संगठित बाल तस्करी ‘राजनीतिक और प्रशासनिक मदद’ के बिना नहीं चल सकती. इसमें सरकारी अधिकारी और राजनेता शामिल हैं.