साल के अंत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी ने उपभोक्ताओं की टेंशन बढ़ा दी है। क्रिसमस के अगले ही दिन तेल कंपनियों ने कई शहरों में ईंधन के दाम बढ़ा दिए हैं। हालांकि, दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता जैसे बड़े महानगरों में कीमतें स्थिर रहीं। बिहार के पटना में पेट्रोल और डीजल के दाम में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज की गई। पेट्रोल 53 पैसे महंगा होकर 106.11 रुपये प्रति लीटर और डीजल 51 पैसे बढ़कर 92.92 रुपये प्रति लीटर हो गया।
गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद समेत कई अन्य शहरों में भी मामूली बढ़ोतरी देखी गई। वहीं, अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड और डब्ल्यूटीआई के दाम में हल्की बढ़त ने इस बदलाव को प्रभावित किया है। तेल की कीमतों में यह वृद्धि आम उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डाल सकती है। अब यह देखना होगा कि वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतें किस दिशा में जाती हैं और घरेलू बाजार पर इसका कैसा असर पड़ेगा।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड का भाव 73.58 डॉलर प्रति बैरल और डब्ल्यूटीआई का रेट 70.29 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया है। वैश्विक स्तर पर इस मामूली उछाल का असर घरेलू बाजार में पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर साफ दिखाई दे रहा है।
पेट्रोल-डीजल के दाम में हर दिन होता है बदलाव
भारत में ईंधन की कीमतें रोजाना सुबह 6 बजे अपडेट होती हैं। इनकी तय कीमत में एक्साइज ड्यूटी, डीलर कमीशन और वैट जैसे शुल्क जोड़ने के बाद उपभोक्ताओं को मिलने वाला दाम लगभग दोगुना हो जाता है। यही वजह है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में थोड़ी भी हलचल का असर सीधे आम आदमी की जेब पर पड़ता है।
बढ़ी कीमतें, बढ़ेगी चिंता
तेल की कीमतों में यह वृद्धि आम उपभोक्ताओं के लिए अतिरिक्त बोझ बन सकती है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में कच्चे तेल के दाम किस दिशा में बढ़ते हैं और इसका भारतीय बाजार पर क्या प्रभाव पड़ेगा। वैश्विक बाजार की स्थिरता या अस्थिरता अगले कुछ दिनों में घरेलू ईंधन की कीमतों को तय करेगी।
तेल के ये बढ़ते दाम न केवल आर्थिक स्थिति पर असर डालते हैं बल्कि महंगाई के स्तर को भी प्रभावित कर सकते हैं। आने वाले समय में यह देखना जरूरी होगा कि इस बढ़ोतरी का व्यापक असर किन क्षेत्रों पर पड़ता है।