भाई दूज का पर्व भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है। इस त्योहार को भाई टीका, यम द्वितीया आदि नामों से भी जाना जाता है। ये पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना करती हैं। मान्यता है कि इस दिन मृत्यु के देवता यम अपनी बहन यमुना के बुलावे पर उनके घर भोजन के लिए आये थे। इस बार भाई दूज 6 नवंबर को मनाई जाएगी।
भाई दूज पर क्या करते हैं?
-भाई दूज पूजा के लिए एक थाली तैयार की जाती हैं जिसमें रोली, फल, फूल, सुपारी, चंदन और मिठाई रखी जाती है।
-फिर चावल के मिश्रण से एक चौक तैयार किया जाता है।
-चावन से बने इस चौक पर भाई को बैठाया जाता है।
-फिर शुभ मुहूर्त में बहनें भाई को तिलक लगाती हैं।
-तिलक लगाने के बाद भाई को गोला, पान, बताशे, फूल, काले चने और सुपारी दी जाती है।
-फिर भाई की आरती उतारी जाती है और भाई अपनी बहनों को गिफ्ट भेंट करते हैं।
भाई दूज पूजा में शामिल करें ये
भाई दूज के दिन पूजा सामग्री में कुछ चीजों को जरूर शामिल करना चाहिए. इसमें आरती की थाली, टीका, चावल, नारियल, सूखा नारियल, मिठाई, कलावा, दीया, धूप और रुमाल जरूर रखें. भाई दूज पर बहनें सबसे पहले भाइयों को तिलक लगाती हैं. ऐसे में तिलक लगाने के लिए कुमकुम(रोला) का होना बहुत जरूरी है. रोली के स्थान पर हल्दी पाउडर का तिलक भी लगाया जा सकता है. इसके अलावा भाईदूज के दिन पूजा थाली में रोली जरूर रखें.
भाई दूज पूजा मुहूर्त:
भाई दूज अपराह्न समय- 01:10 PM से 03:21 PM
अवधि – 02 घण्टे 11 मिनट
द्वितीया तिथि प्रारम्भ- 05 नवम्बर 2021 को 11:14 पी एम बजे
द्वितीया तिथि समाप्त – 06 नवम्बर 2021 को 07:44 पी एम बजे
भाई दूज से जुड़ी पौराणिक कथा:
मान्यताओं अनुसार इस दिन मृत्यु के देवता यमराज अपनी बहन यमुना के अनेकों बार बुलाने के बाद उनके घर गए थे। यमुना ने यमराज को भोजन कराया और तिलक कर उनके खुशहाल जीवन की प्रार्थना की। प्रसन्न होकर यमराज ने बहन यमुना से वर मांगने को कहा। यमुना ने कहा आप हर साल इस दिन मेरे घर आया करो और इस दिन जो बहन अपने भाई का तिलक करेगी उसे आपका भय नहीं रहेगा। यमराज ने यमुना को आशीष प्रदान किया। कहते हैं इसी दिन से भाई दूज पर्व की शुरुआत हुई।