पड़ोसी देश बांग्लादेश (Bangladesh) में शेख हसीना (Sheikh Hasina) की सरकार के तख्तापलट के करीब दो महीने बीत गए हैं, लेकिन बांग्लादेश में आज भी भय का माहौल है। सबसे ज्यादा असर व्यापार (Business) पर पड़ रहा है। भारत (India) के साथ व्यापार में बड़ी कमी आई है।
चेंगड़ाबांधा सीमा चौकी से पहले हर दिन करीब छह से सात सौ ट्रक बांग्लादेश जाते थे लेकिन अब यह संख्या घट कर दो सौ के करीब रह गई है। भारत के ही नहीं बल्कि बांग्लादेश के नागरिक भी स्वीकारते हैं कि शेख हसीना की सरकार बेहतर थी। बांग्लादेश लगातार विकास की ओर अग्रसर हो रहा था। सभी समुदाय के लोग मिलजुल कर रह रहे थे। चेंगड़ाबांधा चेक पोस्ट के आसपास रहने वाले भारत और बांग्लादेश के सीमावर्ती क्षेत्रों के लोग कहते हैं, भले ही मुहम्मद युनुस खान की अंतरिम सरकार बन गई हो लेकिन देश वर्षों पीछे चला गया। क्योंकि अल्पसंख्यकों में भय का माहौल है और देश में कट्टरपंथियों की पकड़ बढ़ रही है। उल्लेखनीय है कि इस पोस्ट की जिम्मेदारी बीएसएफ के पास है और बीएसएफ बहुत बारीकी और पुख्ता जांच के बाद ही ट्रकों को आने या जाने की अनुमति देता है।
भारतीय बोले : पहले जाते थे 600 ट्रक रोज, अब 200 ट्रक जा रहे बांग्लादेश
नॉर्थ बंगाल मोटर कर्मी संघ के अध्यक्ष मजीत इस्लाम ने बताया कि चेंगड़ाबाधा पोस्ट से वर्षों से व्यापार चल रहा है। इस सत्ता परिवर्तन का व्यापक असर पड़ा है। पहले भारत की तरफ से 600-700 ट्रकों में रोजाना बांग्लादेश से हर तरह का सामान आता था। अब करीब दो सौ ट्रक ही आ रहे हैं।
ड्राइवर भी डर रहे बांग्लादेश जाने में
मोटर संघ के महासचिव खेलना सिंह कहते हैं, व्यवसाय पहले से आधा हो गया है। शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद वहां पर डर का माहौल है। बांग्लादेश जाने से हमारे ड्राइवर डरते हैं। जो लोग बांग्लादेश के साथ व्यापार करते हैं, उनके मन में भी डर है, पैसे समय पर मिलेंगे या नहीं। इसलिए भी व्यापार पर असर पड़ा है।
बांग्लादेशी बोले : भारत की दोस्ती से बांग्लादेश में विकास संभव
चेंगड़ाबांधा इमीग्रेशन में भारत में इलाज के लिए आ रहे अख्तर (बदला हुआ नाम) कहते हैं, व्यापार पर तो असर पड़ा है, लोगों के जीवन पर इसका असर पड़ा है। अख्तर कहते हैं कि बांग्लादेश में तभी विकास संभव है, जब भारत के साथ उसके दोस्ताना संबंध मजबूत होंगे, क्योंकि सबसे अधिक व्यापार भारत के साथ होता है।
बहुत कम लोगों ने मनाई दुर्गापूजा
बांग्लादेश से भारत घूमने आए एक पर्यटक ने बताया कि हिंदू और अल्पसंख्यक डर के माहौल में जी रहे हैं। पहले धूमधाम से दुर्गापूजा का उत्सव मनाया जाता था, इस इस बार बहुत कम लोगों ने उत्सव मनाया।