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रूस से अमेरिका की बढ़ती नजदीकियां यूरोप के लिए कयामत का समय, बोले-जर्मनी के फ्रेडरिक मर्ज

जर्मनी (Germany) में हुए चुनावों (Elections) में फ्रेडरिक मर्ज (Friedrich Merz) की पार्टी जीत का परचम लहराने में कामयाब रही है. इसके साथ ही मर्ज देश के नए चांसलर (Chancellor) बनने जा रहे हैं. लेकिन यह पद संभालने से पहले ही उन्होंने अमेरिका (America) को दो टूक चेतावनी दे दी है.

फ्रेडरिक मर्ज ने अमेरिका को चेताते हुए कहा है कि उन्होंने (अमेरिका) अपने सहयोगियों से मुंह मोड़ लिया है. इस वजह से यूरोप को अपनी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाना होगा. मर्ज ने कहा कि यह यूरोप के लिए कयामत का समय है.

मर्ज ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि हमारे सामने सबसे बड़ी चिंता यकीनन यूक्रेन को लेकर रूस के साथ ट्रंप की डील करने के प्रयासों को लेकर है. इसमें कोई हैरानी नहीं होगी जब मैं ये कहूं कि यह यूक्रेन और यूरोप दोनों के लिए अस्वीकार्य होगा. जो लोग ‘अमेरिका फर्स्ट’ को तवज्जो देते हैं, वे असल में ‘अमेरिका अलोन’ के रास्ते पर चल रहे हैं.

मर्ज का ये बयान अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रंप की रूस के साथ बढ़ रही नजदीकियों और यूरोप को नजरअंदाज करने के रुख के बाद सामने आया है.

बता दें कि जर्मनी के आम चुनाव में फ्रेडरिक मर्ज की क्रिश्चियन डेमेक्रेटिक यूनियन (CDU) पार्टी को जबरदस्त सफलता मिली है. सीडीयू एक सेंटर राइट पार्टी है. क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (CDU) और क्रिश्चियन सोशल यूनियन (CSU) के गठबंधन को सबसे अधिक वोट मिले हैं. इस जीत के बाद फ्रेडरिक ने कहा था कि जर्मनी के हित में सरकार बनाने की बात करते हुए कहा कि दुनिया हमारा इंतजार नहीं करेगी बल्कि हमें आगे बढ़कर काम करना होगा.

वहीं, धुर दक्षिणपंथी AfD पार्टी दूसरे स्थान पर रही है. चांसलर ओल्फ स्कॉल्ज की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा है.

एंजेला मर्केल की वजह से छोड़ी थी राजनीति
फ्रेडरिक मर्ज अवैध प्रवासियों को लेकर बेहद सख्त हैं. उन्होंने इस बार भी चुनाव प्रचार के दौरान जमकर अवैध प्रवासियों पर निशाना साधा था. इस जीत के बाद उनका फोकस इमिग्रेशन और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने पर होगा.

उनका खुद की पारिवारिक पृष्ठभूमि भी बिजनेस से जुड़ी हुई रही है जो इस बार चुनावों में उनकी लोकप्रियता की वजह रही. दरअसल पिछले कई सालों से जर्मनी की राजनीति में अस्थिरता के बीच लोगों की उम्मीदें रही हैं कि वह देश की अर्थव्यवस्था को इस गर्त से बाहर निकालेंगे.