देहरादून- उत्तराखंड में कल (आज) 70 विधानसभा सीटों पर मतदान होना है। प्रचार की प्रक्रिया 48 घंटे पहले समाप्त हो चुकी है। प्रत्याशी बूथ मैनेजमेंट में लगे हुए है। प्रचार के अंतिम दौर में प्रत्याशियों ने अपने-अपने क्षेत्र में एड़ी-चोटी का जोर लगाया, इस चुनाव में भाजपा व कांग्रेस ही एक दुसरे की टक्कर पर हैं। यह तो भविष्य के गर्भ में ही है कि प्रदेश में कौन सी पार्टी सत्ता में आएगी।
देहरादून जनपद की कैंट विधानसभा क्षेत्र की अगर हम बात करें तो इस सीट पर पिछले 33 सालों से भाजपा का एक छत्र राज रहा है। कांग्रेस इस सीट को हासिल करने में कामयाब नहीं हो पाई, परन्तु 33 साल के शासन में भाजपा ने क्षेत्र की जनता के लिए कोई भी ऐसा कार्य नही किया जिसे उसकी बड़ी उपलब्धि कहा जाए। क्षेत्र में बह रही छोटी बिंदाल में बरसात का पानी आने से क्षेत्र तालाब का रूप ले लेता है। प्रेमनगर स्थित सामुदायिक स्वास्थ केंद्र की हालत देख कर यह नही लगता कि यह उत्तराखंड की राजधानी कहे जाने वाले देहरादून का हिस्सा है। स्वास्थ केंद्र की हालत देख कर ऐसा प्रतित होता है कि आप किसी दूरस्थ इलाके में है। भाजपा ने इस बार फिर एक ही परिवार के लोगों को टिकट दिया, टिकट देने के पीछे भाजपा की यह सोच रही है कि उन्हें इस बार सहानुभूति वोट मिलेगा लेकिन जनता के मन में कुछ और ही चल रहा है, वहीं कांग्रेस ने सूर्यकांत धस्माना को अपना प्रत्याशी बनाया, सूर्यकांत धस्माना इस सीट पर 2 बार चुनाव लड़ चुके हैं परंतु वह सफल नही हो पाए। पहली बार में तो कांग्रेस की आपसी खींचतान का शिकार धस्माना हुए और दूसरी बार में देश व राज्य में मोदी लहर के चलते धस्माना को विधानसभा पहुचने में सफलता नहीं मिली। इस बार के चुनाव में जनता परिवर्तन के मुंड में लग रही है। धस्माना अपने अकेले ही दम पर चुनाव प्रचार करते नजर आए। पार्टी का कोई भी बड़ा स्टार प्रचारक कैंट क्षेत्र में नही पहुँचा, सिवाए नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह के। श्री धस्माना ने इस बार के चुनाव में सीधे जनता की नब्ज को पकड़ा और उनका दर्द समझा । धस्माना ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान महँगाई, बेरोजगारी, छोटी बिंदाल में बाढ़ की समस्या, प्रेमनगर में लोगों के मालिकाना हक के मामले, सामुदायिक स्वास्थ केंद्र के उच्चीकरण, प्रेमनगर को टाऊनशिप बनाने, क्षेत्र में मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल का निर्माण करने, उजड़े व्यापारियों को बसाने, प्रेमनगर को कैंट एरिया से बाहर निकालने जैसे मुद्दों पर ही फोकस किया, जिससे वह लोगों के बीच अपना प्रभाव छोड़ने में कामयाब रहे। जबकि दूसरी ओर भाजपा इन मुद्दों के इतर धर्म, जाति, भाषा व परिवारवाद का ही बखान करती रही। कैंट क्षेत्र में इस बार के चुनाव में ऐसा प्रतीत हो रहा है कि क्षेत्र की जनता बदलाव लाएगी। अब देखना यह है कि धस्माना क्षेत्र की जनता की नब्ज पकड़ने में कितने कामयाब हो पाए है।