बटन वाला बेसिक फोन. कई लोगों के लिए यह पुरातन काल की चीज हो गई होगी. स्मार्टफोन की चकाचौंध में कहां किसी को फुरसत है कि वह हजार-दो हजार रुपये वाला बेसिक फोन (Feature Phone) लेकर चले. लेकिन यह बात सब पर लागू नहीं होती. लाखों की आबादी ऐसी है जो आज भी बेसिक फोन का बटन टीप कर अपना काम चलाती है. अब सरकार ने भी इस तरह के फोन की अहमियत बढ़ा दी है. वह भी ऑफलाइन पेमेंट (Offline Payment) के लिए. यह ऐसा पेमेंट है जिसके लिए इंटरनेट की जरूरत नहीं होती. सरकार ने सोचा कि अधिसंख्य आबादी के पास इंटरनेट नहीं है और बैंक खाते भी जैसे-तैसे पहुंचे हैं, ऐसे में इन लोगों को बैंकिंग सुविधाओं का लाभ कैसे दिया जा. ऐसा लाभ जिसमें नोट का उपयोग कम हो. तब जाकर हमें मिला है e rupe ई-रुपी उनके लिए है जो इंटरनेट नहीं चलाते या जिनके पास बैंक खाता नहीं है.
आज ई-रुपी की चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि सरकार ने इसकी लिमिट बढ़ा दी है. ई-रुपी से पहले 10 हजार रुपये तक का ऑफलाइन पेमेंट कर सकते थे. अब यह सीमा बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दी गई है. आप सोच रहे होंगे कि यह ई-रुपी क्या है जिस पर सरकार का इतना ध्यान है. दरअसल ई-रुपी एक वाउचर की तरह है जो खास कोड के रूप में होता है. इसे और आसानी से समझने के लिए मोबाइल कूपन का उदाहरण लें. मान लें आपने ‘जावेद मोबाइल कॉर्नर’ से 10 रुपये का वाउचर खरीदा. उसे स्क्रैच किया और मोबाइल रिचार्ज कर लिया. आपकी मोबाइल कंपनी ने 2.5 रुपये या कुछ और राशि काटकर बाकी पैसे आपके फोन में डाल दिए. अब आप वाउचर का 8.50 रुपये एक दिन में खर्च करें या पांच दिन में. यह आपके हवाले है. कुछ ऐसा ही हाल ई-रुपी वाउचर का भी है.
मोबाइल वाउचर की तरह ई-रुपी
पहले ई-रुपी और मोबाइल वाउचर में बुनियादी फर्क जान लें. मोबाइल वाउचर आपको कागज के रूप में हाथ में मिलता है जिससे मोबाइल रिचार्ज करते हैं. ई-रुपी वाउचर आपको हाथ में नहीं बल्कि आपके बेसिक फोन पर मिलेगा. यह वाउचर सरकार देगी जो किसी एसएमएस या क्यूआर कोड की तरह होगा. यह आपके मोबाइल की तरह ही प्रीपेड वाउचर होगा जिसमें पहले से पैसा जमा होगा. यह वाउचर आपको पैसे की तरह नहीं दिखेगा, लेकिन होगा पूरी तरह से पैसा ही. आप चाहें तो इससे उस सेंटर पर पेमेंट कर सकेंगे जहां ई-रुपी चलता है.
कहां-कैसे ले सकेंगे फायदा
आइए और आसान भाषा में समझते हैं. मान लें आप आयुष्मान भारत स्वास्थ्य योजना के लाभार्थी हैं और सरकार को आपको 1 लाख रुपये देने हैं. सरकार आपको यह राशि इलाज का खर्च चुकाने के लिए दे रही है. वह चाहे तो यह पैसा आपके जनधन खाते में भी दे सकती है. लेकिन आपके पास जनधन खाता न हो तो फिर सरकारी मदद आप तक कैसे पहुंचेगी. इसी मर्ज का इलाज है ई-रुपी. ई-रुपी के लिए बैंक खाता या इंटरनेट वाले फोन या इंटरनेट की जरूरत नहीं. सरकार एक लाख रुपये का ई-रुपी आपके बेसिक फोन पर मैसेज या क्यूआर कोड के रूप में भेज देगी.
सरकार किसी बैंक के साथ टाइअप में ई-रुपी भेजती है. मान लें आपके पास एसबीआई की ई-रुपी आया है तो आप हॉस्पिटल में उस वाउचर से 1 लाख रुपये तक का शुल्क चुका सकते हैं. आपको कुछ नहीं करना है और बस उस कोड को उस अस्पताल के मशीन पर दिखना है या टच करना है. फिर आप अमाउंट डालेंगे और उतना पैसा वाउचर से कट जाएगा. अब आपके ऊपर है कि एक बार में 1 लाख रुपये चुका रहे हैं या बारी-बारी से.
बिना इंटरनेट पेमेंट
दोनों तरह की सुविधा आपको मिलती है. इसमें न तो किसी बैंक कार्ड की जरूरत होती है, न डिजिटल पेमेंट ऐप या इंटरनेट बैंकिंग की. बस क्यूआर कोड या मैसेज अस्पताल (या जहां पैसा खर्च करना चाहते हैं) को दिखाया, उससे पैसे कटे और आपका पूरा काम तमाम. ये है ई-रुपी की पूरी कहानी. ई-रुपी में पहले 10,000 रुपये तक मिलते थे जिसे बढ़ाकर 1 लाख तक कर दिया गया है. यानी सरकार किसी लाभार्थी को 1 लाख तक का ई-रुपी दे सकती है.