दिल्ली (delhi) में कोरोना वायरस (corona virus) के मामले अब दहशत फैलाने लगे हैं। बेकाबू हालात को देखते हुए सरकार (government) ने वीकेंड कर्फ्यू (weekend curfew) लगाने का फैसला लिया है। इसी बीच कोविड-19 दूसरी लहर (covid-19 second wave) के खत्म होने के बाद अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या तीन गुना बढ़ गई है। जबकि नए संक्रमण की दर दूसरी लहर के बाद के निम्न स्तर से 82 गुना से अधिक बढ़ गई है। यह जानकारी विश्लेषण में सामने आई है।
इससे पता चलता है कि दिल्ली में नए संक्रमणों में वृद्धि के बावजूद चिकित्सा देखभाल की जरूरत वाले रोगियों में बहुत मामूली वृद्धि देखी जा रही है। दुनिया भर के ट्रेंड को देखें तो वहां ओमिक्रॉन के तेजी से फैलने की वजह से केस में बहुत ज्यादा वृद्धि हुई है। दिल्ली में जिन लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता है, उनकी वर्तमान संख्या वास्तव में बहुत कम है।
दिल्ली सरकार द्वारा दिए आंकड़ों के अनुसार मरीजों को दो श्रेणियों में बांटा गया है। पहले ओमिक्रॉन के वो मरीज हैं जिन्हें तुरंत चिकित्सीय देखभाल की जरूरत नहीं है (सरकारी आंकड़ों के अनुसार इसमें ज्यादातर लोग हल्के लक्षण (एसिप्टोमैटिक) वाले हैं) लेकिन आइसोलेशन के लिए उन्हें भर्ती किया गया है। दूसरे मरीज वो हैं जिन्हें दिल्ली के स्वास्थ्य बुलेटिन में संदिग्ध मरीज बताया गया है।
दिल्ली सरकार द्वारा 3 जनवरी को जारी किए गए स्वास्थ्य बुलेटिन के अनुसार, शहर में कोविड-19 रोगियों के लिए उपलब्ध 9,029 अस्पताल के बेड में से केवल 420 पर ही मरीज भर्ती थे। सरकारी डाटा के अनुसार, भारत की दूसरी लहर (और दिल्ली की चौथी) के पीक के बाद, 28 नवंबर, 2021 को खत्म हुए हफ्ते में दिल्ली में भर्ती मरीजों के बेड की संख्या घटकर 128 हो गई थी। इससे पता चलता है कि दूसरी लहर की समाप्ति की तुलना में अभी भर्ती मरीजों की संख्या 3.3 गुना अधिक है।
दिल्ली के अस्पताल में भर्ती मरीजों की संख्या को देखा जाए तो इससे पता चलता है कि भर्ती मरीज दो तरह के हैं- पहले जिनमें हल्के लक्षण दिख रहे हैं और दूसरे जो संदिग्ध रोगी हैं। वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान में कई ओमिक्रॉन मरीज अनिवार्य होम आइसोलेशन का पालन कर रहे हैं क्योंकि संक्रमण की उच्च संचरण दर को देखते हुए, इन मरीजों के लिए होम आइसोलेशन की नीति अभी तक तैयार नहीं की गई है।
इसका मतलब यह है कि इन नीतिगत निर्णयों के कारण अस्पताल के बेड की संख्या को बढ़ाया गया है क्योंकि अस्पतालों में भर्ती मरीजों की एक बड़ी संख्या हल्के लक्षण (ओमिक्रॉन संक्रमणों का एक बड़ा हिस्सा पूरे देश में है) वाली है, और उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है। सरकारी स्वास्थ्य बुलेटिन के अनुसार, 168 रोगियों को ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत है और 14 वेंटिलेटर पर हैं।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के पूर्व अध्यक्ष डॉ जेए जयलाल ने कहा कि बेशक अन्य देशों में ओमिक्रॉन वैरिएंट के पॉजिटिव मरीजों में हल्के लक्षण दिख रहे हैं, लोगों को सतर्क रहने और कोविड-उपयुक्त व्यवहार का पालन करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ‘वैश्विक ट्रेंड यह है कि वैक्सीन लेने वाले लोगों में, अस्पताल में भर्ती होने की संभावना उन लोगों की तुलना में कम होती है जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाई है। इसलिए, हमें लापरवाही नहीं करनी चाहिए और सरकारों को ज्यादा से ज्यादा टीकाकरण पर जोर देना चाहिए ताकि स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली पर भार कम हो क्योंकि मामले पीक पर हैं।’
दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘जब मामले और बढ़ेंगे, तो हमें केवल गंभीर मामलों और उच्च जोखिम वाले मरीजों को ही अस्पताल में भर्ती करना होगा। चूंकि यह वैरिएंट बहुत ज्यादा तेजी से फैलता है। ऐसे में होम आइसोलेशन के लिए सख्त दिशा-निर्देशों की आवश्यकता होगी ताकि परिवार और पड़ोस के अन्य सदस्य संक्रमित न हों।’