पिछले 40 हजार साल पहले से भारत के सभी लोगों का DNA समान है। यह बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में एक कार्यक्रम के दौरान कही।
उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने कई बलिदान दिए हैं। त्याग किया है। इसलिए हमारी संस्कृति आज भी जीवित है। हमारा देश फल-फूल रहा है। उन्होंने कहा कि हम अपने पूर्वजों का अनुकरण करते हैं। लिहाजा हमारी निष्ठा भी उनके प्रति है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को मीडिया सरकार का रिमोट कंट्रोल बताता है लेकिन ये बात कतई सच नहीं है। सरकार और संघ में अलग रिश्ता है। उन्होंने कहा कि भारत एक विश्व शक्ति नहीं है लेकिन निश्चित रूप से महामारी के बाद विश्व गुरु बनने की क्षमता है।
RSS सरकार का रिमोट कंट्रोल नहीं
उन्होंने पूर्व सैनिकों को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि ये सच है कि हमारे कुछ कार्यकर्ता सरकार का हिस्सा हैं। मीडिया हमें सरकार के रिमोट कंट्रोल के रूप में प्रस्तुत करता है। आरएसएस रिमोट कंट्रोल नहीं है। इसमें बिल्कुल भी सचाई नहीं है, यह असत्य है। सरकार हमारे स्वयं सेवकों को कोई आश्वासन नहीं देती है। लोग आरएसएस से पूछते हैं कि हमें सरकार से क्या मिलता है तो मैं ऐसे लोगों को बता दूं कि हमारे पास जो कुछ भी है, उसे हमें खोना भी पड़ सकता है।
भारत की ओर देख रहा है पूरा विश्व
चिकित्सा में प्राचीन भारतीय प्रथाओं के बारे में मोहन भागवत ने कहा कि हमारे पारंपरिक भारतीय उपचार काड़ा, क्वाथ थे। अब पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है और भारतीय मॉडल का ही पालन करना चाहती है। हमारा देश भले ही विश्व शक्ति न बने, लेकिन विश्व गुरु जरूर हो सकता है।
दलाई लामा से मिल सकते हैं भागवत
कार्यक्रम के दौरान मोहन भागवत ने तमिलनाडु के कुन्नूर में हेलिकॉप्टर हादसे में अपनी जान गंवाने वाले सीडीएस बिपिन रावत समेत सभी 14 लोगों की याद में मौन धारण कर श्रद्धांजलि अर्पित किया। उन्होंने कहा कि भारत की अविभाजित भूमि सदियों से विदेशी आक्रमणकारियों से कई लड़ाई हारी। यहां लोग एकजुट नहीं थे। भागवत ने समाज सुधारक बीआर अंबेडकर का हवाला देते हुए कहा कि हम कभी किसी की ताकत से नहीं बल्कि अपनी कमजोरियों से हारते हैं। भागवत हिमाचल प्रदेश के पांच दिवसीय दौरे पर हैं, वह तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा से मिल सकते हैं।