दशहरा (Dussehra) अश्विन माह की शुक्लपक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है. इस बार 15 अक्टूबर 2021 (शुक्रवार) को देशभर में ये पर्व मनाया जा रहा है. इस दिन विशेष रूप से शस्त्र पूजन (Shastra Puja Dussehra) का विधान है. भारतीय सेना (Indian Army) के तीनों अंग- एयरफोर्स (Indian Airforce), नेवी (Indian Navy) और थल सेना (Indian Army) भी इस परंपरा का निर्वहन करते हैं. तो आइए जानते हैं लड़ाकू विमानों-राइफलों से लेकर मिसाइल-पनडुब्बियों तक, भारतीय सेना के तीनों अंगों के सबसे घातक हथियारों के बारे में.
सबसे पहले बात करते हैं एयरफोर्स (IAF) की, जिसके पास दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायु सेना होने का रुतबा है. राफेल (Rafale) लड़ाकू विमानों के आने से एयरफोर्स की ताकत में जबरदस्त इजाफा हुआ है. Rafale Jet में तीन तरह की मिसाइल लगाई जा सकती हैं. हवा से हवा में मार करने वाली, हवा से जमीन में मार करने वाल मिसाइल और हैमर मिसाइल. राफेल लड़ाकू विमानों की तमाम खासियतों की वजह से दुश्मन इससे घबराया हुआ है. भारत में बना तेजस (Tejas Fighter Jet) विमान कुछ समय बाद वायुसेना के लड़ाकू बेड़े की रीढ़ बनने जा रहा है. LCA Tejas में तमाम तरह की नई प्रौद्योगिकियां शामिल हैं. यह एक हल्का युद्धक विमान है, जिसमें हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल, लेजर गाइडेड मिसाइल और बियांड विजुवल रेंज ‘अस्त्र’ मिसाइल लगाई जा सकती है.
इसके अलावा अलावा एयरफोर्स में सुखोई, मिग-29, मिग-21 बाइसन, जगुआर जैसे लड़ाकू विमान भी शामिल हैं. 350 किमी/ प्रति घंटे से ज्यादा की रफ्तार से उड़ान भरने वाला अपाचे लड़ाकू हेलिकॉप्टर (Apache Helicopter) भी भारतीय सेना का हिस्सा है. मिसाइलों की बात करें तो भारत की ब्रह्मोस (BrahMos) मिसाइल एक मल्टी मिशन बैलेस्टिक मिसाइल (Ballistic Missile) है. ये मिसाइल कुछ सौ किलोमीटर से लेकर हजार किलोमीटर से अधिक तक की रेंज में आती है. ब्रह्मोस समंदर, जमीन और आकाश, तीनों जगह से दुश्मन को निशाना बना सकती है.
हाल ही में वायुसेना सेना में शामिल हुई मीडियम रेंज सर्फस टू एयर मिसाइल यानी MR-SAM बेहद घातक है. ये मिसाइल 70-100 किलोमीटर तक दूसरी को भेदने में कारगर है. इस मिसाइल को भारत की तीनों सेनाएं इस्तेमाल करेंगी. MR-SAM से लड़ाकू विमान, हेलिकॉप्टर, सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, यूएवी, सब सोनिक और ड्रोन को नष्ट कर सकते हैं. वहीं ‘आकाश’ (Akash Missile) जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल है, जो 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित लक्ष्य को भेदने की क्षमता रखती है. पिनाका (Pinaka) भी काफी लंबे रेंज तक दुश्मन पर वार करने में सक्षम है. पिनाका एमके- I (Pinaka Mk-I rockets) पिनाका का लेटेस्ट वर्जन है.
पृथ्वी मिसाइल (Prithvi Missile) के तीन वर्जन हैं- पृथ्वी- 1, पृथ्वी- 2 और पृथ्वी- 3. तीनों क्रमशः थलसेना, वायुसेना और जलसेना के लिए बनाई गई है. वहीं, प्रहार मिसाइल (Prahaar Missile) कम रेंज वाली एक शक्तिशाली मिसाइल है. इसे खासतौर से थलसेना और वायुसेना के लिये बनाया गया है. इतना ही नहीं भारत के पास जल्द ही S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम भी आने वाला है. अग्नि-5 अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (Agni-V ICBM) है. इस मिसाइल की रेंज 5000 से 8000 किलोमीटर बताई जा रही है. इसकी जद में चीन समेत कई देश से आ रहे हैं. इसका वजन 50 हजार किलो से भी अधिक है.
यह 29,401 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दुश्मन पर हमला करती है. वहीं थल सेना को 72,000 सिग सोर असॉल्ट राइफल (Sig Sauer Assault Rifles) मिलने से उसकी ताकत बढ़ गई है. वहीं रूस की घातक एके 203 (AK-203) राइफल जल्द ही भारतीय सेना (Indian Army) को मिलने वाली है. इसके अलावा Bofors तोप, ब्रह्मोस, अग्नि व एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल समेत कई ऐसे हथियार हैं जो सेना को मजबूती देते हैं. इसके साथ आधुनिक पिस्टल, इंसास राइफल, असाल्ट राइफल, स्नाइपर राइफल, माउजर, मशीन गन भी थल सेना की ताकत में चार चांद लगाते हैं. उधर अर्जुन और टी-90 भीष्म (T-90 Bhishma) टैंक का नाम सुनते ही दुश्मन के होश उड़ जाते हैं.
भीष्म एक मिनट में 8 गोले फायर कर सकता है. भीष्म दुनिया के सबसे हल्के टैंकों में गिना जाता है. इसके साथ ही अर्जुन एमके-1 (Arjun MK-1) भी थल सेना के लिए विकसित तीसरी पीढ़ी का मुख्य युद्धक टैंक है. जो दुश्मनों को खाक में मिलाने में माहिर है. भारत की नेवी भी बेहद मजबूत है और इसकी शान है आईएनएस विक्रमादित्य. भारतीय नौसेना के सबसे महंगे एयरक्राफ्ट्स (INS Vikramaditya) में से एक आईएनएस विक्रमादित्य का वजन करीब 45,000 किलो है. इसपर लड़ाकू विमान समेत तमाम तरह के युद्धक साजो-सामान तैयार किए जा सकते हैं. इसके अलावा नेवी के पास आईएनएस अरिहंत (INS Arihant) नाम की परमाणु पनडुब्बी भी है. एक और पनडुब्बी आईएनएस करंज कमीशन है, जो भारतीय नौसेना की तीसरी पनडुब्बी है, जो परमाणु हमला करने में सक्षम है. आईएनएस करंज भारतीय नौसेना के कलवरी प्रोजेक्ट-75 के तहत निर्मित की गई है.