अगस्त में अफगानिस्तान (Afghanistan) की राजधानी काबुल (Kabul) पर तालिबान (Talibani) के कब्जे के बाद से अफगानिस्तान (Afghanistan) के आर्थिक हालात बदतर(economic situation worse) होते जा रहे हैं। तालिबान(Taliban) इसे लेकर चिंतित है और अर्थव्यवस्था व बैंकिंग व्यवस्था को मजबूत (strengthening the economy and banking system) करने पर जोर दे रहा है।
खबरों के मुताबिक तालिबानी सरकार (Talibani Government) के उप-प्रधानमंत्री अब्दुल सलाम हनफी (Deputy Prime Minister Abdul Salam Hanafi) ने हाल ही में अर्थव्यवस्था को लेकर केंद्रीय बैंक के अधिकारियों और बैंकों के संघों के साथ बैठक में कहा कि बैंकिंग की समस्याओं को संबंधित कानूनों के तहत हल किया जाएगा।
अफगानिस्तान के केंद्रीय बैंक ने संस्थागत ग्राहकों को एक सप्ताह में 25 हजार डॉलर नकद निकासी की छूट दी है। हालांकि, व्यक्तिगत खाताधारकों के लिए नकद निकासी की सीमा एक सप्ताह में 200 डॉलर रखी गई है।
बेरोजगारी, अकाल व अंतरराष्ट्रीय आर्थिक प्रतिबंधों की वजह से अफगानिस्तान आर्थिक और मानवीय संकट के दौर से गुजर रहा है। खाने, दवाओं व जरूरी वस्तुओं की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। तालिबान शासन ऐसे हालात का मुकाबला करने में सक्षम नहीं है। उसके डर से केंद्रीय बैंक के प्रमुख सहित ज्यादातर बड़े अधिकारी पहले ही देश छोड़ चुके हैं, ऐसे में आर्थिक मोर्चे पर सधे फैसले लेने की जरूरतों को पूरा करने में कोई भी सक्षम अधिकारी अफगानिस्तान में नहीं है।